परिचय:
नेट हाउस संरक्षित खेती (Protected Cultivation) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें फसल को बाहरी वातावरण के दुष्प्रभावों से बचाया जाता है। बेड की सही तैयारी, उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करती है। इस लेख में, हम नेट हाउस में बेड तैयार करने की सही तकनीक और आवश्यक मापदंडों पर चर्चा करेंगे।
नेट हाउस में बेड तैयार करने की प्रक्रिया:
1. भूमि चयन:
- भूमि का प्रकार: उपजाऊ, रेतीली दुमट या बलुई मिट्टी बेड तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
- pH स्तर: मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- नमूना परीक्षण: भूमि की जांच से मिट्टी में पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है, जिससे उर्वरकों का सही उपयोग किया जा सकता है।
2. मिट्टी की जुताई:
- गहराई: मिट्टी को 20-30 सेंटीमीटर की गहराई तक जुताई करें।
- जुताई के उपकरण: रोटावेटर या ट्रैक्टर का उपयोग करें ताकि मिट्टी ढीली हो और उसमें वायु संचरण ठीक से हो सके।
- पत्थर और खरपतवार हटाना: बेड में कोई पत्थर, खरपतवार या अवशेष न रहें। इससे फसल की जड़ें ठीक से विकसित हो सकती हैं।
3. बेड की माप और ऊँचाई:
- बेड की ऊँचाई: बेड की ऊँचाई 15-20 सेंटीमीटर होनी चाहिए। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ऊँचाई को 25-30 सेंटीमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।
- बेड की चौड़ाई: सामान्य रूप से बेड की चौड़ाई 1-1.2 मीटर होती है। यदि फसल पंक्तियों में लगानी है, तो पंक्तियों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- पथ (Path) की चौड़ाई: बेड के बीच की दूरी (पथ) 30-40 सेंटीमीटर होनी चाहिए ताकि खेती के कामकाज में सुविधा हो।
4. बेड की संरचना:
- बेड को समतल और थोड़ी ढलान के साथ बनाना चाहिए ताकि सिंचाई का पानी आसानी से पूरे बेड में फैल सके।
- बेड की ढलान का कोण लगभग 2-3% होना चाहिए।
- बेड के किनारों को मजबूत बनाने के लिए उनके चारों ओर सीमेन्ट या ईंटों से बॉर्डर बना सकते हैं।
5. सिंचाई की व्यवस्था:
- ड्रिप सिंचाई: नेट हाउस में ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था सबसे उपयुक्त है। इससे पानी की बचत होती है और पौधों की जड़ों तक सीधे पानी पहुँचता है।
- ड्रिप लाइन की दूरी: ड्रिप लाइन को बेड के ऊपर 20-30 सेंटीमीटर की दूरी पर बिछाएँ। प्रत्येक ड्रिप लाइन के बीच की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- सिंचाई की मात्रा: मिट्टी की नमी और फसल की आवश्यकता के आधार पर पानी की मात्रा निर्धारित करें। प्रति दिन लगभग 4-5 लीटर प्रति वर्ग मीटर पानी की आवश्यकता होती है।
6. उर्वरक और खाद डालना:
- खाद: बेड तैयार करने से पहले अच्छी तरह से गला हुआ गोबर की खाद या कम्पोस्ट (10-12 टन/हेक्टेयर) मिलाएँ।
- उर्वरक: भूमि परीक्षण के आधार पर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (NPK) का उपयोग करें। सामान्य रूप से 50-60 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
- सूक्ष्म पोषक तत्व: पौधों के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन और आयरन भी बेड में मिलाएँ।
7. सूर्य की किरणों की दिशा:
- बेड को इस तरह से तैयार करें कि पौधों को दिन भर सूर्य की पर्याप्त किरणें मिल सकें। पूर्व से पश्चिम दिशा में बेड तैयार करना अधिक उपयुक्त रहता है।
8. मल्चिंग का उपयोग:
- बेड पर प्लास्टिक या ऑर्गेनिक मल्च का उपयोग करें। इससे नमी बनी रहती है, खरपतवार कम होते हैं, और फसल की जड़ों को ठंडक मिलती है।
- मल्च की मोटाई लगभग 50 माइक्रॉन होनी चाहिए।
9. फसल की बुवाई:
- बीज की गहराई: बीज को 1.5-2 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं।
- बीज की दूरी: फसल के अनुसार, पौधों के बीच 20-30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- सीडलिंग ट्रे: नेट हाउस में पौधों को पहले सीडलिंग ट्रे में तैयार करके फिर मुख्य बेड में प्रत्यारोपण करें। इससे बीज की बचत होती है और पौधों का विकास तेज़ होता है।
सावधानियाँ:
- वातावरण नियंत्रण: नेट हाउस में तापमान और नमी को नियंत्रित रखें ताकि पौधों की वृद्धि में बाधा न आए।
- रोग नियंत्रण: बेड तैयार करते समय कीटों और रोगों से बचाव के लिए जैविक या रासायनिक उपचार करें।
- जल निकासी: जल निकासी की सही व्यवस्था रखें ताकि पानी का ठहराव न हो और जड़ों में सड़न न हो।
निष्कर्ष:
नेट हाउस में बेड की सही तैयारी से फसल उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। इसके लिए उचित मापदंडों और विधियों का पालन करना आवश्यक है। भूमि की जुताई, उर्वरक का सही उपयोग, सिंचाई प्रणाली, और सही तरीके से बेड तैयार करने से फसल की उत्पादकता और लाभ दोनों में सुधार होता है।