दूध से दही बनाने की पारंपरिक विधियां: भारत में इस्तेमाल होने वाले तरीके
भारत में दही को बहुत पसंद किया जाता है। यह न केवल स्वाद में अच्छा होता है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। दही प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर होता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। हमारे देश में दही बनाने की कई पारंपरिक विधियां हैं, जो अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों के हिसाब से बदलती हैं। इस लेख में हम सरल और आसानी से समझ में आने वाली भाषा में दूध से दही बनाने के विभिन्न तरीकों के बारे में जानेंगे।
1. गर्म दूध से दही बनाना
यह सबसे सामान्य और पारंपरिक विधि है, जो लगभग हर घर में इस्तेमाल होती है। इस विधि में:
- सबसे पहले ताजा दूध को धीमी आंच पर उबाला जाता है।
- जब दूध थोड़ा ठंडा (गुनगुना) हो जाए, तो उसमें पहले से जमे हुए दही का एक चम्मच डाला जाता है।
- इसे अच्छे से मिला लिया जाता है और बर्तन को ढककर किसी गर्म जगह पर रखा जाता है।
- लगभग 6-8 घंटे में दही तैयार हो जाता है।
नोट: सर्दियों में इसे गर्म रखने के लिए कपड़े में लपेटकर रखा जाता है।
2. मटके में दही बनाना
मटका या मिट्टी के बर्तन में दही बनाने की विधि खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय है।
- मिट्टी के बर्तन को धोकर सुखा लिया जाता है।
- इसमें गुनगुना दूध डाला जाता है।
- इसके बाद दही का जामन (स्टार्टर) डालकर अच्छे से मिला लिया जाता है।
- मटका ठंडी जगह पर रखा जाता है।
मटके में दही बनाने से दही में खास सुगंध और स्वाद आता है।
3. चूल्हे की आंच के पास रखना
पुराने समय में जब गैस के चूल्हे नहीं थे, लोग लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल करते थे। उस समय दही जमाने के लिए दूध को चूल्हे के पास रखा जाता था।
- चूल्हे की हल्की गर्मी दही जमाने में मदद करती थी।
- सर्दियों में यह तरीका बहुत कारगर होता था।
4. कपास के कपड़े में लपेटकर रखना
सर्दियों में जब तापमान कम होता है, तो दही जमने में समय लगता है।
- ऐसे में दूध को कपास के कपड़े में लपेटकर किसी गर्म जगह, जैसे रसोई या अलमारी में रखा जाता है।
- इससे दूध का तापमान स्थिर रहता है और दही आसानी से जम जाता है।
5. ताड़ या नारियल के खोल का उपयोग
दक्षिण भारत में कुछ जगहों पर ताड़ या नारियल के खोल में दही जमाने की परंपरा है।
- पहले खोल को अच्छी तरह साफ किया जाता है।
- इसमें गुनगुना दूध डाला जाता है और जामन मिलाया जाता है।
- इसे ढककर गर्म जगह पर रखा जाता है।
नारियल के खोल से दही में हल्का नारियल का स्वाद आ जाता है।
6. राख का उपयोग
पुराने समय में कुछ इलाकों में दूध को राख के पास रखकर दही जमाने की विधि इस्तेमाल होती थी।
- दूध को मिट्टी के बर्तन में डालकर, राख के ढेर में रखा जाता था।
- राख से मिलने वाली हल्की गर्मी दही जमाने में मदद करती थी।
7. केले के पत्तों का उपयोग
दक्षिण और पूर्वी भारत में केले के पत्तों का उपयोग भी होता है।
- पत्ते को धोकर साफ किया जाता है।
- इसके ऊपर गुनगुना दूध और जामन डाला जाता है।
- पत्तों को मोड़कर किसी बर्तन में रख दिया जाता है।
इससे दही में प्राकृतिक खुशबू आ जाती है।
8. हाथ की गर्मी से दही जमाना
कुछ जगहों पर हाथ की गर्मी का उपयोग करके भी दही जमाया जाता है।
- दूध को हल्का गर्म करके बर्तन में डाला जाता है।
- जामन डालने के बाद इसे हाथों से हिलाया जाता है।
- इसके बाद इसे ढककर किसी गर्म जगह पर रखा जाता है।
9. लोहे के बर्तन में दही बनाना
राजस्थान और गुजरात में लोहे के बर्तन का उपयोग होता है।
- लोहे के बर्तन में दूध डालकर जामन मिलाया जाता है।
- यह विधि दही में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए की जाती है।
10. गोबर की राख का उपयोग
ग्रामीण इलाकों में गोबर की राख का भी इस्तेमाल होता है।
- दूध के बर्तन को गोबर की राख के ढेर में रखा जाता है।
- इससे दूध को समान रूप से गर्मी मिलती है।
दही जमाने में ध्यान देने वाली बातें
- दूध की ताजगी: ताजा दूध जल्दी और अच्छी तरह जमता है।
- जामन की गुणवत्ता: अच्छा जामन दही के स्वाद और बनावट को बेहतर बनाता है।
- तापमान: न ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठंडा तापमान होना चाहिए।
- साफ-सफाई: बर्तन और जामन साफ होना चाहिए।
दही के फायदे
- पाचन में मदद करता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
- त्वचा को निखारता है।
निष्कर्ष
दही बनाने की पारंपरिक विधियां भारत की सांस्कृतिक विविधता और लोक जीवन से जुड़ी हुई हैं। हर तरीके का अपना खास महत्व और स्वाद है। चाहे मटके में बनी दही हो या केले के पत्तों में, इन पारंपरिक तरीकों से न केवल दही का स्वाद बढ़ता है, बल्कि हमारी परंपराओं को भी जीवित रखा जाता है। अगर आप भी दही बनाना चाहते हैं, तो इनमें से किसी भी विधि को अपनाकर स्वादिष्ट और पौष्टिक दही तैयार कर सकते हैं।