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Introduction:

दोस्तों, जनवरी का महीना शुरू होते ही उत्तर भारत में ठंड पूरी तरह से अपना दस्तक दे चुकी होती है। और ये वो ही मौसम होता है जब हमारे शरीर में न्यूट्रिएंट्स की काफी जरूरत होती है, और ऐसे में हमें कई अलग अलग तरह की सब्जियों की जरूरत होती है। इन सब्जियों के माध्यम से ही हमें हमारी जरूरत के सभी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।

हमारे शरीर में हमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट और मिनरल्स की जरूरत होती है। यह सभी कॉम्पोनेंट्स हमें मिलकर एक हेल्थी जिंदगी देते हैं।

और इस जनवरी के महीने में हमारे चारों तरफ सिर्फ गेंहू और सरसों ही हमें दिखाई देती है, पर इस महीने कई ऐसी पोषक तत्वों से लबरेज़ सब्जियां हैं जो आपके ज़ायके और स्वास्थ दोनों को बेहतर कर सकती हैं।

और आज के इस ब्लॉग में हम आपको ऐसी ही कुछ सब्जियों के बारे में बताएंगे जिनको आप जनवरी के महीने में लगा कर अच्छा खासा फ़ायदा कमाने के साथ साथ अपनी हेल्थ को भी बेहतर कर सकते हैं। यह सब्जियां तापमान पर काफी ज्यादा निर्भर करती हैं। क्योंकि तापमान ही यह निर्धारित करता है कि कौन सी सब्जी कौन से इलाके में अच्छे से सरवाइव कर पाएगी।

किसी भी पौधे के जीवन चक्र में मुख्यतः तीन स्टेज होती हैं। पहली स्टेज होती है जर्मिनेशन वाली स्टेज। जब हम बी को जमीन के अंदर या फिर मीडिया में डालते हैं तो तापमान के जरिए उसके अंदर स्टोर्ड फूड मटेरियल उसकी मदद करता है कि उसे अंकुरण बाहर आए। और इससे जर्मिनेशन यानी फुटाव की दर निर्धारित होती है।

दूसरी स्टेज होती है जब पौधे का ताना बनता है, जड़ें बनती हैं और पत्तियां बनती हैं। इसे वेजिटेटिव स्टेज कहते हैं। किसी स्टेज में पौधे का पूरा विकास होता है और एक हाइट पौधे की बनती है।

तीसरी और आखिरी स्टेज होती है जब पौधों के ऊपर फूल बने शुरू होते हैं। इसे रिप्रोडक्टिव स्टेज कहते हैं। इस स्टेज के दौरान फूलों से फल बनते हैं और हमारी फसल से कितनी पैदावार होगी यह निर्धारित होता है।

यह तीनों ही स्टेज तापमान पर काफी ज्यादा निर्धारित होती है। अगर तापमान बहुत ज्यादा कम हो तो जर्मिनेशन सही तरीके से नहीं होता और कम तापमान होने की वजह से वेजिटेटिव स्टेज भी धीमी पड़ जाती है। और इसका असर रिप्रोडक्टिव स्टेज पर भी सीधा-सीधा पड़ता है।

जनवरी उगाई जाने वाली सब्जियों को तापमान के हिसाब से 2 श्रेणियों में बांटा गया है, जो निम्नलिखित हैं:

1) Cooler Climate (तापमान 15°C से कम):

ये सारी वो सब्जियां होती हैं जिनको अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए कम तापमान की जरूरत होती है या ज्यादा ठंड में उगाई जाती हैं। कम तापमान होने की वजह से पहले तो इनका जर्मिनेशन धीमी गति से होता है और इसके बाद उनकी वेजिटेटिव स्टेज यानी कि तना बनना जड़ें बनना और पत्तियां बनना, यह भी धीरे-धीरे होता है।

इन सब्जियों के लिए जो एवरेज तापमान होता है वह लगभग 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिए। इन सब्जियों में मुख्य रूप से सलाद वाली सब्जियां या फिर ऐसी सब्जियां होती हैं जिनकी पत्तियां खाने में इस्तेमाल की जाती है।

इन सब्जियों में जड़ों वाली सब्जियां भी होती हैं जिनकी जड़ें खाने में इस्तेमाल की जाती है। जैसे गाजर, मूली, शलगम और चुकंदर।

इस मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियां बहुत जल्दी खराब नहीं होती और इन्हें हम लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं।

इनमें मुख्य रूप से होती हैं:

  • Leafy greens: Spinach, Kale, Lettuce, Arugula and Mustard greens.
  • Brassicas: Cabbage, Collard greens, Broccoli, Turnips.
  • Root-vegetables: Radishes, Beets, Carrots
  • Allium: Green onions, Leeks.

2) Warmer Climate (तापमान 15°C से अधिक):

सर्दियों के मौसम में भी कुछ सब्जियों ऐसी होती हैं जिनको अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए थोड़े ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। और ऐसी सब्जियों को वार्मर क्लाइमेट की सब्जियां कहते हैं।

इन सब्जियों की वेजिटेटिव ग्रोथ थोड़ी तेज होती है क्योंकि इनके लिए ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। इस वर्ग में मुख्य रूप से ऐसी सब्जियां होती हैं जिनकी बेल या वाइन बनती है।

इस वर्ग में खीरा यानी की cucumber खास है। और खीरे में भी दो किस्में हमें देखने को मिलती है एक बीज वाला खीरा होता है जिसे देसी खीरा भी कहा जाता है। और दूसरा बिना बीज वाला खीरा होता है जिसे seedless cucumber या parthenocarpic खीरा भी कहा जाता है।

इस वर्ग में एक खास तरह की सब्जियां आती हैं जिन्हें हब्र्स कहते हैं और यह मेडिसिनल सब्जियां होती हैं। यह सब्जियां विटामिन सी का बेहतरीन सोर्स होती है और विटामिन सी हमारे शरीर में इम्यूनिटी को बूस्ट करने में काफी ज्यादा मदद करती है।

कोविड की बीमारी आने के बाद बाजार में विटामिन सी युक्त सब्जियों की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है। और जनवरी के महीने में लगने वाली यह सभी सब्जियां विटामिन सी का बेहतरीन सोर्स होती हैं।

इस श्रेणी में वो सब्जियां आती हैं, जिनके ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए 15°C से अधिक तापमान की जरूरत होती है, इनमें मुख्य रूप से हैं:

  • Beans: Snap beans, Peas, Green beans.
  • Herbs: Parsley, Celery, Basil, Organo.
  • Cucurbits: Cucumber, Summer squash, Zucchini.

3. इनमें से कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनके लिए सूरज की रोशनी कम चाहिए होती है और इन फसलों को Nightshade Crops कहते हैं। इन सब्जियों के जीवन चक्र को पूरा करने के लिए सूरज की रोशनी की इंपोर्टेंस उतनी ज्यादा नहीं होती जितनी इससे पहले बताई गई सब्जियों में होती थी।

इन सब्जियों को आमतौर पर शेड के नीचे लगाया जाता है जैसे कि नेट हाउस या पॉलीहाउस में। और यह सब्जियां संरक्षित खेती का हिस्सा हैं। इन सब्जियों को भी आमतौर पर सलाद में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। और इन सब्जियों में रंग बदलने की प्रक्रिया भी देखने को मिलती है।

जैसे: बैगन, रंगीन शिमला मिर्च।

इन सब्जियों में ज्यादातर सब्जियां, या तो leafy vegetables हैं या सलाद की सब्जियां जैसे: खीरा, पार्सले, लीक, रंगीन शिमला मिर्च आदि।

ये सब्जियां विटामिन सी से भरपूर होती हैं, और विटामिन सी हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में काफी मददगार होती हैं।

और कोविड आने के बाद विटामिन सी युक्त पदार्थों की डिमांड खासतौर से फल और सब्जियों की बढ़ गई है।

इसी लिए आप ये सब्जियां अपने खेत, घर या गार्डन में लगा कर ना सिर्फ अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी हेल्थ को भी बेहतर कर सकते हैं। अगर हमारी हेल्थ अच्छी होगी तो सारी चीज हमारे लिए आसान होती चली जाती हैं।

और यह सब्जियां न सिर्फ हमारी हेल्थ को बेहतर करती हैं बल्कि किस की इनकम बढ़ाने का भी अच्छा खासा जरिया है।

खेती-बाड़ी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दी जा रही वीडियो लिंक पर जाकर हमारे चैनल को जाकर देख सकते हैं।

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By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

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