Introduction:
दोस्तों, Nitrite पौधों के लिए एक ऐसी दो धारी तलवार है जो अगर एक limit में पौधों को मिले तो फायदेमंद होती है, पर अगर इसकी मात्रा बढ़ जाए तो ये पौधों के लिए काफी नुकसान भी पहुंचा सकता है।
आईए, आज के इस ब्लॉग में हम Nitrite के पौधों के लिए इन दोनो aspects को समझने की कोशिश करते हैं।
What Is Nitrite (NO−2)?
- अगर बात विज्ञान की करें तो, ये एक negatively charged ion है जो एक नाइट्रोजन और दो ऑक्सीजन के atom से मिलकर बना हुआ है।
- इसे “nitrogen oxoanion” भी कहा जाता है।
- ये nature में मौजूद होता है और nitrogen cycle में हवा में मौजूद लगभग 78% नाइट्रोजन को पौधों के लिए फिक्स (fix) करने में मदद करता है।
- इसके अलावा ये pharmaceutical industries में भी इस्तेमाल किया जाता है।
What Is Nitrification? नाइट्रिफिकेशन क्या है?
Nitrite एक unstable nitrogen containing एसिडिक साल्ट है जो या तो solution में दिखता है या इसके साल्ट में। हमारी फसलों में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर फर्टिलाइजर्स जिनसे पौधों को नाइट्रोजन मिलती है, नाइट्रोजन को अमोनिया के रूप में लिए होते हैं।
और पौधे नाइट्रोजन को Nitrate (NO⁻ ₃) के रूप में लेते हैं और अमोनिया को नाइट्रेट में कन्वर्ट होने के लिए कुछ बैक्टीरिया की जरूरत होती है। ये बैक्टीरिया पहले अमोनिया को nitrite में बदलते हैं और फिर nitrite को nitrate में बदलने का काम करते हैं। और इस पूरी प्रक्रिया को ही नाइट्रिफिकेशन कहा जाता है।
नाइट्रिफिकेशन से नाइट्रेट के रूप में पौधे जो नाइट्रोजन लेते हैं इसका इस्तेमाल आगे चल कर पौधे प्रोटीन बनाने में करते हैं, Photosynthesis यानी प्रकाश संश्लेषण में करते हैं और अपनी सम्पूर्ण विकास के लिए करते हैं।
नाइट्रेट, अमोनिया की तुलना में ज्यादा mobile होता है।और पौधे की cells में एक जगह से दूसरी जगह बड़ी आसानी से चला जाता है। जिससे पौधों में न्यूट्रिएंट्स की मोबिलिटी आसानी से होती रहती है। नाइट्रेट एक तरफ पौधे की ग्रोथ और डेवलपमेंट में तो सहायक है ही साथ में पौधों को स्ट्रेस से भी बचाता है।
पौधे मुख्यतः 3 तरह से नाइट्रोजन को absorb करते हैं:
- Nitrate
- Nitrite और
- Ammonia
ज्यादातर पौधे नाइट्रोजन को Nitrate के रूप में लेते हैं, कुछ ऐसे हैं जो अमोनिया के रूप में लेते हैं। और बहुत थोड़े ऐसे हैं जो नाइट्रोजन को nitrite के रूप भी लेते हैं।
पर ये nitrite को एक हद तक ही लेते हैं, क्योंकि इसकी मात्रा अगर ज्यादा हो जाए तो पौधों के लिए घातक साबित हो सकती है। अगर नाइट्राइट की मात्रा हमारे पौधों में बढ़ जाए तो इसकी टॉक्सीसिटी हमारे पौधों की ग्रोथ रुक जाने का खतरा बना होता है। रिसर्च में ये बात साबित हुई कि अगर इसकी मात्रा फिक्स लेवल से थोड़ी भी ज्यादा हो जाए तो इससे shoot system और root system बुरी तरह से प्रभावित होता है। कभी कभी इससे पत्ते के सर्फेस एरिया भी कम हो जाता है।
What is The Ideal Range Of Nitrite For The Plants?
वैसे तो nitrite कब पौधों के लिए फायदेमंद से नुकसानदायक हो जाए, इसके बीच में एक महीन सी रेखा है।
और 1.0 ppm से ज्यादा होते ही ये पौधों के लिए खतरा पैदा करना शुरू कर देता है। पर इसे और बेहतर ढंग से समझने के लिए हमें इस breakdown को समझना पड़ेगा।
1) 0-0.1 ppm: ये रेंज एक उपयुक्त रेंज मानी जाती है, और इस रेंज पर लगभग सभी पौधों की ग्रोथ और न्यूट्रिएंट्स uptake ठीक रहता है।
2) 0.1-0.5 ppm: कुछ सेंसिटिव पौधे इस रेंज पर स्ट्रेस दिखाने लगते हैं और उनकी ग्रोथ कम होने शुरू हो जाती है। और पत्तियां मुरझानी शुरू हो जाती हैं।
3) 0.5-1.0 ppm: इस रेंज पर आ कर ज्यादातर पौधे स्ट्रेस दिखाना शुरू कर देते हैं और इनकी ग्रोथ लगभग रुक ही जाती है।
4) >1.0 ppm: इससे ज्यादा रेंज पौधों के लिए बेहद खतरनाक है, और इस रेंज पर आ कर पौधों में severe damage दिखाई देने लगता है। और पौधे लगभग मरने शुरू हो जाते हैं।
Impacts On Plants:
- हाई नाइट्राइट लेवल, पौधों में ऑक्सीजन के use को disturb करता है जिसे पौधों में एनर्जी की कमी देखी जा सकती है।
- क्योंकि नाइट्राइट unstable फॉर्म में होता है तो ये दूसरे molecule के साथ combine हो कर free radiclas बनाना शुरू कर देते हैं जो बाद में पौधों की cells और DNA को damage करता है।
- अगर पौधे की जड़ों में नाइट्राइट लेवल बढ़ जाए तो ये दूसरे न्यूट्रिएंट्स के uptake को रोक देता है जिससे पौधे में डिफिशिएंसी दिखने लगती है और पौधा आसानी से बीमारियों का शिकार होने लगता है।
- पौधों में खाना बनाने का एक मुख्य तरीका है Photosynthesis और ये प्रक्रिया पौधों में पत्तियों पर मौजूद क्लोरोफिल पिगमेंट की सही एक्टिविटी की वजह से होती है। और इससे ना सिर्फ पौधे खुद का खाना बना पाते हैं बल्कि हम इंसान भी अपने भोजन के लिए फिर इन्हीं पौधों पर डिपेंड रहते हैं। और नाइट्राइट की अधिकता से क्लोरोफिल कम होना शुरू हो जाता है जो बाद में Photosynthesis को डिस्टर्ब करके पौधों के खाने बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित भी करता है।
- नाइट्राइट toxicity का एक common symptom है chlorosis, जिसमें पौधों की पत्तियां पहले क्रोलोफिल की कमी से पीली पड़ती है। क्योंकि पौधों में हरा रंग इस क्लोरोफिल की वजह से ही होता है और नाइट्राइट की अधिकता इसी पिगमेंट को पहले तोड़ना शुरू करती है।
- नाइट्राइट की concentration अगर किस वजह से हमारी मिटी या ग्रोइंग मीडिया में ज्यादा हो जाए तो इसकी वजह से बीज का जर्मिनेशन भी proper नहीं होता है। और किसान को पैदावार में भरी नुकसान उठाना पड़ता है।
How To Manage Nitrite Levels?
- हाई नाइट्राइट के असर को कम करने के लिए हमें नियमित रूप से अपने पानी की जांच करते रहना चाहिए। खासतौर से हाइड्रोपोनिक्स और एक्वेटिक प्लांट्स लगाने वाले ग्रोअर्स को।
- अगर आपके पानी का नाइट्राइट लेवल ज्यादा है तो इसके साथ कम नाइट्राइट लेवल का पानी मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
- फर्टिलाइजर्स की ओवर डोज भी कई बार इसका कारण बन सकती है, इसलिए balanced फर्टिलाइजर्स डोज ही उसे करनी चाहिए।
- कुछ बायोलॉजिकल एजेंट्स या बैक्टीरिया नाइट्राइट को ब्रेक करके इसके लेवल को कम कर सकते हैं, इस लिए अपने फार्मिंग सिस्टम में ऐसे बायोलॉजिकल एजेंट्स का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।