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Introduction:

दोस्तों, बीते कुछ सालों से खेती यानी Agriculture को एक business की तरह देखा जाने लगा है। और इसमें profit लेने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। और अब क्षेत्र में सिर्फ कम पढ़े लिखे किसान ही नहीं रहे बल्कि पढ़े लिखे और intellectuals भी इस field में उतर आएं हैं।

ऐसे में crop management और खासतौर से nutrients management काफी ज्यादा जरूरी हो गया है। और लोगों ने अलग अलग तरह के फर्टिलाइजर्स ढूंढ निकाले हैं जो फसलों की ग्रोथ को तेजी से बढ़ा सकें। और ऐसे में लोगों ने केमिकल्स को बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। पर पेस्टीसाइड्स के रूप में इस्तेमाल हो रहे इन जहरीले केमिकल्स की वजह से हमें बहुत सारी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है।

और इस समस्या का सिर्फ एक ही समाधान है कि हम वापिस खेती के पुराने तरीकों की तरफ लौटें। और खेती में केमिकल्स की जगह जैविक खादों का इस्तेमाल करना शुरू करें। और इस ब्लॉग में हम ऐसे ही एक कांसेप्ट पर बात करेंगे जिसका नाम है “Bio-Fertilizers”.

What Are Bio Fertilizers? (बायो फर्टिलाइजर्स क्या होते हैं?)

बायो फर्टिलाइजर्स ऐसे substances होते हैं जिनके अंदर किसी ना किसी रूप में micro organisms मौजूद होते हैं जो पौधों की growth को promote करके हमारी फसलों की पैदावार को बढ़ाते हैं। जब इनको बीज के साथ मिलते हैं, या मिट्टी के साथ मिलते हैं तो ये पौधे की जड़ों के पास rhizosphere में colonize हो कर पौधों के लिए nutrients की availability को बढ़ा कर पौधों की ग्रोथ और डेवलपमेंट को बूस्ट करते हैं।

ये chemical फर्टिलाइजर्स के मुकाबले cost effective तो होते ही हैं, साथ ही साथ ये eco-friendly हो कर हमारे environment को कम से कम नुकसान पहुंचाते हैं। और इस तरह से ये जैविक विधि से मिट्टी की खोई हुई fertility को भी restore करते हैं।

Importance Of Bio fertilizers. (बायो फर्टिलाइजर्स के फायदे):

  • बायो फर्टिलाइजर्स कुदरती सोर्सेज से बने होते हैं, इसीलिए ये हमारे environment को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।
  • ये मिट्टी की aeration capacity, water holding capacity और organic content को बढ़ाते हैं।
  • Fertilizers का living source होने से इससे पौधे पर कोई गैर जरूरी stress भी नहीं आता।
  • Rhizobium bacteria के रूप में ये पौधों की जड़ों में गांठ के रूप में मौजूद हो कर ये हवा की nitrogen पौधों के लिए available कराता है।
  • ये phosphate solubilization और potassium mobilization करके पौधों की मदद करते हैं।
  • ये soil structure को improve करके पौधों के root system को बेहतर बनाते हैं।

Types Of Bio Fertilizers (बायो फर्टिलाइजर्स के प्रकार):

जिस तरह से chemical fertilizers के अलग अलग प्रकार होते हैं। उसी तरह से bio fertilizers के भी कई प्रकार होते हैं। और ये उस organism के type और primary function पे depend करता है। और इसके कुछ मुख्य प्रकार इस तरह से है:-

Bacterial Bio-Fertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स होते हैं जिसमें main component बैक्टीरिया होता है। और ये nitrogen fixation, phosphate solubilization और plant growth hormone रिलीज करने में मददगार होते हैं।

Rhizobium:

ये ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो दलहनी (leguminous) फसलों की जड़ों में गांठ बना कर हवा की नाइट्रोजन को फिक्स करके पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं।

Azotobacter:

ये free living bacteria होते हैं जो बिना किसी सहारे या सपोर्ट के हवा की नाइट्रोजन को fix करके पौधों को available कराते हैं। इसके साथ साथ ये plant growth hormone भी प्रोड्यूस करते हैं।

Bacillus:

ये ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो phosphorus और potassium को solubilize करके पौधों के लिए available कराते हैं।

Fungal Bio-Fertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स होते हैं जिनका मुख्य तत्व (component) फंगस होता है। ये पौधों के साथ मिलकर plant growth और nutrients uptake को enhance करते हैं।

Mycorrhizae:

ये ऐसे फंगस ग्रुप होते हैं जो higher plants की जाड़ों के साथ एक symbiotic relationship बनाकर जड़ों का surface area बढ़ा देते हैं। और इस प्रकार वो पौधे ज्यादा न्यूट्रोएंट्स और पानी ले पाते हैं।

Algal Bio-Fertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स होते हैं जिनका मुख्य हिस्सा cyanobacteria यानी Blue Green Algae (BGA) होता है। जो फसलों के contact में आ कर nitrogen fixation और soil fertility को बढ़ाते हैं।

Azolla:

ये खासतौर से धान की फसलों में इस्तेमाल होने वाला cyanobacteria होता है जो धान और इस जैसी फसलों में soil fertility और nitrogen fixation को बढ़ाता है।

इसके अलावा बायो फर्टिलाइजर्स को किसी खास न्यूट्रिएंट्स के uptake में इस्तेमाल किया जाता है। और उस समय इनके इस्तेमाल से उस खास न्यूट्रिएंट की पौधों को उपलब्धता बढ़ जाती है। और इनकी इस property के आधार पर बायो फर्टिलाइजर्स को निम्नलिखित categories में बांटा गया है:-

Nitrogen-Fixing Biofertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स या microbes होते हैं जो खासतौर से atmospheric nitrogen को fix करके इस रूप में बदल देते हैं कि ये पौधों को आसानी से मिल सके। क्योंकि हमारी हवा में कुदरत ने 78% नाइट्रोजन रखा है। और हमारा जो नाइट्रोजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले फर्टिलाइजर source यूरिया में, सिर्फ 46% नाइट्रोजन है।

Eg: Rhizobium and Azptobacter.

Phosphate-Solubilizing Biofertilizers:

हमारी मिट्टी में लगभग सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। इनमें से कुछ पौधों के लिए directly available form में होते हैं। और कुछ compounds की फॉर्म में blocked रहते हैं। और फास्फोरस भी compounds बनाकर phosphate बना कर ब्लॉक हो जाता है। और ये बायो फर्टिलाइजर्स इन्हीं ब्लॉक phosphate को पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं।

Eg: Bacillus, PSB.

Potassium-Mobilizing Biofertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स होते हैं जो clay particles से potassium को रिलीज करके पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं। इससे पौधों में पोटेशियम की कमी दूर होती है।

Eg: Some Bacillus strains.

Plant Growth Promoting Biofertilizers:

ये ऐसे बायो फर्टिलाइजर्स होते हैं जिनके अंदर ऐसे microbes होते हैं पौधों में ग्रोथ हार्मोन रिलीज करते हैं। जो पौधों में root development, nutrients absorption, और overall growth को बढ़ावा देते हैं।

Eg: Pseudomonas.

Method Of Application (इस्तेमाल करने का तरीका):

दोस्तों, बायो फर्टिलाइजर्स को इस्तेमाल करते समय हमें खास सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। और इनके इस्तेमाल के लिए हमें खास तरीके अपनाने पड़ते हैं।

Seed Treatment:

ये इनको इस्तेमाल करने का सबसे common method है जो हम legume crops जैसे beans and peas में अपनात हैं और इसके लिए Rhizobia biofertilizers का इस्तेमाल किया जाता है।

बायो फर्टिलाइजर्स को 10% शुगर और गुड़ के साथ मिलाकर slurry तैयार करनी करती है। इसके बाद इस slurry को बीज के ऊपर ठीक से परत के रूप में चढ़ा दें। इसके बाद बीज को थोड़ा सा सुखा लें और फिर इसकी बुआई कर सकते हैं।

Seedlings Dipping:

ये तरीका उन फसलों में इस्तेमाल किया जाता है जिनकी हम पौध यानी seedlings transplant करते हैं। जैसे कि सब्जियां और धान। इसके लिए Azotobacter और Azospirillum biofertilizers का इस्तेमाल किया जाता है।

इनको एक जगह पानी में मिलाकर solution तैयार कर लें। और फिर पौध को लगाने से पहले 5 से 10 मिनट इसमें डुबोकर लगाएं।

Soil Application:

इस method का इस्तेमाल लगभग सभी बायो फर्टिलाइजर्स के साथ किया जाता है। इसमें बायो फर्टिलाइजर्स को compost या FYM के साथ मिलाकर 24 घने के लिए रखना पड़ता है। इससे इसमें micro organism activate हो जाते हैं।

और फिर इसे खेत में बीज लगाने से पहले एकसार बिखेर दें या मिट्टी के साथ मिक्स कर दें।

Foliar Application:

इस method का इस्तेमाल फसलों directly पत्तों के जरिए critcal stages पर न्यूट्रिएंट्स देने के लिए किया जाता है। इसके लिए बायो फर्टिलाइजर्स का पहले एक dilute solution तैयार किया जाता है। और फिर इस solution को पत्तों के ऊपर सुबह जल्दी और शाम को late स्प्रे करना पड़ता है।

Conclusion:

इस तरह से दोस्तों हम अपनी मॉडर्न फार्मिंग में भी फर्टिलाइजर्स के लिए बायो फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल ना सिर्फ हमारे लिए cost effective रहेगा बल्कि ये पूरी तरह से eco friendly भी हैं। जिससे हमारे environment को कोई नुकसान नहीं होता।

What Is PSB?

By Dr Bittu Ram

Dr. Bittu Ram, a PhD graduate from CCS HAU Hisar, is a renowned Seed Science researcher. With numerous research papers, he's made substantial contributions to advancing agriculture. His innovative work focuses on sustainable farming, improving seed quality, and boosting agricultural productivity. Dr. Ram is committed to a resilient and thriving agricultural future.

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