दोस्तों, अगर आप सब्जियों की पौध उगाते हैं या पौध खरीद कर फसल लगाते हैं, तो आप ये बात जानते होंगे कि पौध और फंगस का चोली दामन का सा साथ होता है। और आप चाहे कितनी भी सावधानियां बरतें फंगस आपकी पौध में आ ही जाती है।
और पौध उगाते समय एक किसान को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें 80% से ज्यादा ऐसी हैं जो फंगस की वजह से होती हैं।
और फंगस से होने वाली समस्याओं में भी सबसे बड़ी समस्या होती है Damping Off या तना गलन रोग की। यह लगभग सभी तरह की सब्जियों में आता है। और बीज से जैसे ही हम ट्रेज में पौध बनाते हैं तो जर्मिनेशन के ठीक बाद यह पौधे पर अटैक करना शुरू कर देता है।
What is Damping Off?
Damping Off, फंगस की वजह से पौध में होने वाली एक बीमारी है। जिसमें नए पौधे जमीन के पास से गलने शुरू हो जाते हैं। और बाद सूख कर गिर जाते हैं, और मार जाते हैं।
इसके अलावा Fusarium wilt, Root rot और Blight पौध में फंगस की वजह से होने वाली कुछ मुख्य बीमारियां हैं। इन बीमारियों को अगर समय रहते कंट्रोल नहीं किया जाए तो फिर मुख्य फसल में इनका कंट्रोल काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
इसीलिए सही समय पर इनकी पहचान और कंट्रोल बेहद जरूरी है। और कंट्रोल से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है इनकी सही पहचान। क्योंकि फंगस को नंगी आंखों से देख पाना काफी मुश्किल है या बिल्कुल ही नामुमकिन है। इसीलिए उनके शुरुआती सिम्टम्स से ही इनको पहचाना जा सकता है। और शुरुआती सिम्पटम्स को देखकर पहचानने के लिए आपके पास तकनीकी जानकारियां होनी बेहद जरूरी है।
इस ब्लॉग में हम इसी की चर्चा करेंगे कि किस तरह से आप पौध या फिर मुख्य फसल में फंगस से होने वाली बीमारियों को उनकी शुरुआती अवस्था में पहचान कर सकते हैं। और कौन-कौन से फंगीसाइड्स का इस्तेमाल करके आप इनका बेहतर नियंत्रण कर सकते हैं।
ये बीमारियां पौध में 3 अलग अलग माध्यमों से फैलती हैं:
- बीज से,
- हवा से; और
- मिट्टी /मीडिया से।
जब हम बीज से पौध तैयार करते हैं या फिर मुख्य फसल लगते हैं तो बीज कई बार फंगल कंटामिनेशन का सोर्स होता है। और एक जगह से दूसरी जगह फंगस को लेकर जाता है।
इसीलिए बीज खरीदते समय हमें इस बात की पहचान और जांच कर लेनी चाहिए की बीज हमें अच्छे सोर्स से फंगल कंटामिनेशन फ्री ही मिला होना चाहिए।
बीज के बाद अगला फंगस का सोर्स है हमारी हवा। हवा में फंगस के छोटे-छोटे spores हमेशा मौजूद रहते हैं। और जैसे ही इनको इनका खाना मिलता है यानी कि प्लाटिंग मटेरियल मिलता है। ऐसे ही ये बीज या फिर नई पौध पर अपना काम शुरू कर देते हैं और उसके ऊपर अटैक करना शुरू कर देते हैं।
और दोस्तों तीसरा सबसे बड़ा फंगल कांटामिनेशन का सोर्स होता है हमारी मिट्टी या फिर जिस मीडिया में हम पौध तैयार करते हैं वह मीडिया। हमारी मिट्टी में जहां हमारे फायदेमंद माइक्रोऑर्गेनाइज्म होते हैं वहीं कुछ हानिकारक माइक्रोऑर्गेनाइज्म भी होते हैं और फंगस उन हानिकारक माइक्रो ऑर्गेनिज्म्स में से एक है।
जैसे ही मिट्टी में हम बुवाई के लिए बीज डालते हैं या फिर पौध लगाते हैं तो यह बीज और पौध की जड़ों पर सीधा हमला करते हैं। क्योंकि यह बीज और पौध उनके लिए खाने का काम करती है।
इसकी एक बड़ी वजह हमारी मिट्टी में अधिक नमी भी है क्योंकि दोस्तों अगर मिट्टी में नमी ज्यादा है या फिर मिट्टी गीली है और हमने उसमें बीज या पौध लगाई है तो फंगस आने के चांसेस बने रहते हैं।
अगर मिट्टी में नमी ज्यादा हो जाए और इस समय तापमान भी बढ़ जाए तो फंगस को काबू करना फिर काफी ज्यादा मुश्किल होता है। इसलिए जब भी बीज से फसल लगाएं या फिर पौध से फसल लगाएं तो इन दो बातों का ध्यान रखना काफी ज्यादा जरूरी है।
इस समस्या से बचने के लिए हम पौध या मुख्य फसल में fungicides (फफूंदनाशक) का इस्तेमाल करते हैं। और कब कौनसा फंगीसाइड इस्तेमाल करना है, ये बात काफी महत्व रखती है।
फंगीसाइड्स (Fungicides), मुख्य रूप से 2 तरह के होते हैं:
- Contact Fungicide
- Systemic Fungicide
कॉन्टैक्ट फंगिसाइड, ऐसे फंगीसाइड होते हैं जिनका इस्तेमाल पौधों के ऊपर स्प्रे के रूप में किया जाता है और उसी साइट पे पहुंचन जरूरी है जहां पर फंगस का अटैक हुआ है।
ये फंगिसाइड कीमत में थोड़े सस्ते होते हैं। जैसे: Mancozeb, Maneb, Zineb.
सिस्टेमिक फंगीसाइड, ऐसे फंगीसाइड होते हैं जो पौधों के सिस्टम में जा कर काम करते हैं।
इनका स्प्रे चाहे आप पौधे के किसी भी हिस्से पर करें, असर उसी जगह पर जा कर करता है जहां इसकी जरूरत होती है। ये फंगिसाइड कीमत में थोड़े मंहगे होते हैं। जैसे: Carbenzazim, Carboxin and Propiconazole.
पौध के लिए अगर हम फंगीसाइड की बात करें तो हमें इनको एक सही क्रम में इस्तेमाल करना होता है। और हमें हल्के फंगीसाइड से कठोर की तरफ जाना चाहिए।
इससे हमारी पौध में रेजिस्टेंस की समस्या पैदा नहीं होती और फंगस को मुख्य फसल में कंट्रोल करना आसान होता है।
फंगीसाइड को किस क्रम में करें इस्तेमाल?
- SAAF (Mancozeb 63% + Carbendazim 12% WP)
- ये एक कॉन्टैक्ट और सिस्टेमिक फंगीसाइड का कॉम्बिनेशन है और इसका इस्तेमाल पौध में काफी ज्यादा किया जाता है।
- इसे आप मीडिया में मिला सकते हैं, फर्टिगेशन में इस्तेमाल कर सकते हैं, और स्प्रे में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. Blitox 50 (कॉपर ऑक्सी क्लोराइड COC 50% WP)
- ये फंगिसाइड जड़ों की और पत्तों की बीमारियों में फायदेमंद है।
- इसे भी आप फर्टिगेशन और स्प्रे में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- डाउनी मिल्ड्यू और ब्लाइट के लिए ये फंगिसाइड काफी फायदेमंद है।
- इसकी तासीर थोड़ी गर्म होती है तो इसे गर्मियों के समय इस्तेमाल करने से बचें।
3. Aliette (Fosetyl Al 80% WP)
- पौध में अगर ड्रेंचिंग करने की नौबत आ जाए और फंगस को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाए, तो ऐसे समय में Aliette फंगीसाइड सबसे ज्यादा फायदेमंद है।
- स्प्रे में भी आप इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, पर जड़ों में लगने वाली बीमारी जैसे फ्यूजेरियम विल्ट में ये बेहद कारगर है।
4. Ridomil Gold (मेटालैक्सिल – 4% और मैनकोज़ेब – 64% (68% डब्ल्यूपी)
- ये भी एक कॉन्टैक्ट+सिस्टेमिक फंगीसाइड है, और इसका इस्तेमाल लगभग हर किसान ने कभी ना कभी जरूर किया होगा।
- पौधों में फंगस से होने वाली मुश्किल से मुश्किल समस्या के लिए ये एक आसान और कारगर उपाय है।
- ये स्प्रे के रूप में सबसे ज्यादा असरदार है। और इसकी dose भी काफी कम है।
5. Custodia (Azoxystrobin 11% + Tebuconazole 18.3% w/w SC)
- इस फंगीसाइड का पौध में उतना तो इस्तेमाल नहीं है, पर अगर कभी समस्या बढ़ जाए तो फिर ये एक अच्छा विकल्प बन जाता है।
- इसे फील्ड crops जैसे गेंहू या धान में किसान आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं।
- अगर आप इसे पौध में इस्तेमाल करें तो, dose इसकी कम कर लें।