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परिचय:

फल मक्खी, जिसे अंग्रेजी में “Fruit Fly” कहा जाता है, एक छोटे आकार की मक्खी होती है जो विशेष रूप से फलों और सब्जियों के आस-पास पाई जाती है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से Drosophila melanogaster नामक प्रजाति से संबंधित है। फल मक्खियाँ सामान्यतः गर्म और आर्द्र वातावरण में पाई जाती हैं और इनका जीवन चक्र बेहद छोटा होता है, जिससे ये बहुत तेजी से प्रजनन करती हैं।

फल मक्खी का जीवन चक्र:

फल मक्खी का जीवन चक्र चार चरणों में बंटा होता है – अंडा, लार्वा (कीट), प्यूपा और वयस्क मक्खी। इसका पूरा जीवन चक्र लगभग 8-10 दिनों का होता है, जो पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। एक वयस्क मादा फल मक्खी एक समय में सैकड़ों अंडे दे सकती है, जिससे इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ जाती है।

  1. अंडा: मादा फल मक्खी आमतौर पर सड़े हुए फलों, सब्जियों या खाद्य पदार्थों पर अंडे देती है। अंडों से लगभग 24 से 36 घंटे में लार्वा निकलते हैं।
  2. लार्वा: अंडों से निकले लार्वा खाद्य पदार्थों पर भोजन करते हैं और लगभग 4-5 दिनों तक इस अवस्था में रहते हैं।
  3. प्यूपा: लार्वा कुछ दिनों के बाद प्यूपा अवस्था में प्रवेश करता है, जहां इसका शरीर धीरे-धीरे वयस्क मक्खी के रूप में परिवर्तित होता है। यह अवस्था लगभग 3-4 दिनों तक रहती है।
  4. वयस्क मक्खी: प्यूपा से बाहर निकलने के बाद, फल मक्खी पूरी तरह से विकसित होती है और 1-2 दिनों के भीतर प्रजनन करने में सक्षम होती है।

फल मक्खी की विशेषताएँ:

  1. आकार: वयस्क फल मक्खी का आकार लगभग 3-4 मिलीमीटर होता है। यह आकार में बहुत छोटी होती है, जिससे इसे आसानी से नज़रअंदाज किया जा सकता है।
  2. रंग: इसका शरीर पीला, भूरा या हल्का नारंगी रंग का होता है और इसकी आँखें आमतौर पर लाल रंग की होती हैं।
  3. आहार: फल मक्खियाँ सड़े हुए फलों, सब्जियों, और मीठे पेय पदार्थों की ओर आकर्षित होती हैं। इनका मुख्य आहार सड़ते हुए खाद्य पदार्थ होते हैं, जिन पर ये अंडे देती हैं।
  4. प्रजनन क्षमता: फल मक्खी की प्रजनन क्षमता बहुत उच्च होती है। एक मादा मक्खी अपने जीवनकाल में लगभग 400-500 अंडे दे सकती है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

फल मक्खियाँ कृषि और बागवानी में एक प्रमुख कीट मानी जाती हैं। ये फलों और सब्जियों को खराब कर सकती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। इसके अलावा, ये मक्खियाँ कई बीमारियों के वाहक भी हो सकती हैं और खाद्य पदार्थों को दूषित कर सकती हैं। घरों में, विशेषकर रसोई में, इनका होना अस्वास्थ्यकर होता है।

इसे Fruit Fly क्यों कहा जाता है?

फल मक्खी को “फल मक्खी” कहा जाता है क्योंकि यह आमतौर पर पके और सड़ते फलों के आसपास पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Drosophila melanogaster है, और यह फलों के किण्वन में रुचि रखती है। ये मक्खियाँ अक्सर फलों में अंडे देती हैं, जिससे उनके लार्वा फल के अंदर विकसित होते हैं।फल मक्खियों का नामकरण उनके इस व्यवहार के कारण हुआ है, क्योंकि वे अक्सर फलों के आस-पास देखी जाती हैं, विशेषकर जब फल सड़ने लगते हैं। इसके अलावा, “फल मक्खी” शब्द का उपयोग अन्य मक्खियों के लिए भी किया जाता है, जो फलों पर निर्भर करती हैं, लेकिन आमतौर पर Drosophila प्रजातियों को इस नाम से जाना जाता है।इस प्रकार, फल मक्खी का नाम उसके मुख्य निवास स्थान और खाने की आदतों से जुड़ा हुआ है।

Fruit Fly किन फसलों को बनाती हैं अपना शिकार, और कैसे करें नियंत्रित?

फल मक्खी द्वारा प्रभावित प्रमुख फसलें और उनके रासायनिक नियंत्रण के उपाय (भारत में मुख्यतः)

परिचय:
फल मक्खियाँ (Fruit Flies) विशेष रूप से फलों और सब्जियों की फसलों को गंभीर नुकसान पहुँचाती हैं। ये मक्खियाँ फलों और सब्जियों में अंडे देती हैं, जिससे कीट विकसित होते हैं और फसलें सड़ने लगती हैं। यह समस्या भारत में व्यापक रूप से पाई जाती है, खासकर गर्म और आर्द्र मौसम में।

फल मक्खी से प्रभावित प्रमुख फसलें:
फल मक्खियाँ कई प्रकार की फसलों पर आक्रमण करती हैं, लेकिन कुछ प्रमुख फसलें हैं जिन पर इनका सबसे ज्यादा असर देखा जाता है:

  1. आम (Mango):
    आम की फसल पर फल मक्खी का व्यापक आक्रमण होता है। ये मक्खियाँ आम के फलों में अंडे देती हैं, जिससे फल सड़ने लगते हैं और बाजार में बेचने योग्य नहीं रहते।
  2. अमरूद (Guava):
    अमरूद भी फल मक्खियों की पसंदीदा फसल है। अमरूद के फल पर इनका आक्रमण होने से फल के भीतर कीट विकसित हो जाते हैं और फल अंदर से सड़ने लगता है।
  3. कद्दू वर्गीय फसलें (Pumpkin Family Crops – लौकी, तोरई, कद्दू):
    कद्दू, लौकी, और तोरई जैसे कद्दू वर्गीय फसलों पर भी फल मक्खियों का आक्रमण आम है। ये मक्खियाँ फलों में अंडे देकर उनके विकास को प्रभावित करती हैं और फसल की गुणवत्ता घट जाती है।
  4. टमाटर (Tomato):
    टमाटर की फसल पर भी फल मक्खियों का हमला होता है। फल मक्खियाँ टमाटर के फलों में अंडे देती हैं, जिससे वे अंदर से खराब हो जाते हैं और बर्बाद हो जाते हैं।
  5. सिट्रस फल (Citrus Fruits):
    संतरा, नींबू, और अन्य सिट्रस फलों पर भी फल मक्खियों का प्रभाव देखा जाता है। ये मक्खियाँ फलों को सड़ाकर उनकी गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
  6. पपीता (Papaya):
    पपीता की फसल पर भी फल मक्खी का असर देखा जाता है। मक्खियाँ फलों में अंडे देती हैं, जिससे फल अंदर से खराब हो जाते हैं।

रासायनिक नियंत्रण के उपाय:
फल मक्खियों से फसल को बचाने के लिए कई रासायनिक उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन उपायों का सही और सुरक्षित उपयोग करने से फसल की रक्षा की जा सकती है। यहां कुछ प्रमुख रासायनिक नियंत्रण के उपाय दिए गए हैं:

  1. प्रोटीन बाइट स्प्रे (Protein Bait Spray):
    फलों पर आक्रमण करने वाली मक्खियों को आकर्षित करने के लिए प्रोटीन आधारित बाइट स्प्रे का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें आमतौर पर प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट और कीटनाशक मिलाया जाता है। मक्खियाँ इसे खाकर मर जाती हैं। मेलाथियॉन 50% ईसी (Malathion 50% EC) का उपयोग इस स्प्रे में किया जाता है।
  2. कीटनाशकों का छिड़काव (Insecticidal Sprays):
    फसल पर नियमित कीटनाशक छिड़काव से फल मक्खियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। निम्नलिखित रसायनों का उपयोग किया जा सकता है:
  • डाईमेथोएट 30% ईसी (Dimethoate 30% EC): यह एक प्रभावी कीटनाशक है जो मक्खियों के अंडे और लार्वा को नष्ट करने में सहायक है।
  • मेलाथियॉन 50% ईसी (Malathion 50% EC): यह एक व्यापक उपयोग वाला कीटनाशक है, जो फल मक्खियों के नियंत्रण के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
  • लैंबडा-साईहेलोथ्रिन 5% ईसी (Lambda-cyhalothrin 5% EC): यह एक सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड है, जो मक्खियों और उनके लार्वा को नष्ट करने के लिए उपयोगी है।
  1. एट्रैक्टेंट ट्रैप (Attractant Trap):
    रासायनिक आकर्षण के साथ कुछ फंदे लगाए जा सकते हैं। जैसे कि मैथाइल यूजेनॉल (Methyl Eugenol) आधारित ट्रैप, जो मक्खियों को आकर्षित करता है और उन्हें फंसाने में मदद करता है।
  2. फफूँदनाशक (Fungicides):
    कुछ मामलों में फल मक्खियों के अंडों और लार्वा को नियंत्रित करने के लिए फफूँदनाशकों का भी उपयोग किया जाता है, ताकि सड़ने की प्रक्रिया को रोका जा सके।
  3. फ्लाई स्प्रे (Fly Sprays):
    सीधे फलों पर फल मक्खियों के संपर्क में आने वाले स्प्रे का उपयोग किया जा सकता है। स्पिनोसैड (Spinosad) एक जैविक रूप से उत्पन्न कीटनाशक है, जो फल मक्खियों के नियंत्रण में सहायक है।
  4. जैविक कीटनाशक (Biopesticides):
    रासायनिक कीटनाशकों के बजाय जैविक कीटनाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि बेसिलस थुरिनजिनसिस (Bacillus thuringiensis) या ब्यूवेरिया बैसियाना (Beauveria bassiana), जो फल मक्खियों पर प्रभावी होते हैं।

नीचे दिए गए तालिका में फल मक्खियों के नियंत्रण के लिए विभिन्न रासायनिक नियंत्रण उपायों को रासायनिक नाम, खुराक और उनके प्रयोग के समय के अनुसार सूचीबद्ध किया गया है:

रासायनिक नाम (Chemical)खुराक (Dose)प्रयोग का समय (Time of Application)
मेलाथियॉन 50% ईसी (Malathion 50% EC)2 मि.ली./लीटर पानीफल बनने के प्रारंभिक चरण में और मक्खियों के दिखने पर
डाईमेथोएट 30% ईसी (Dimethoate 30% EC)1.5 मि.ली./लीटर पानीमक्खियों के शुरुआती आक्रमण के समय
लैंबडा-साईहेलोथ्रिन 5% ईसी (Lambda-cyhalothrin 5% EC)1 मि.ली./लीटर पानीफल बनने के दौरान और मक्खियों के दिखाई देने पर
स्पिनोसैड (Spinosad)1-1.5 मि.ली./लीटर पानीमक्खियों के आक्रमण के समय, हर 7-10 दिन के अंतराल पर
फेनीट्रोथियॉन (Fenitrothion)1.5-2 मि.ली./लीटर पानीमक्खियों के प्रजनन के समय, विशेषकर फल बनने के शुरुआती चरण में
मैथाइल यूजेनॉल (Methyl Eugenol) ट्रैप2-3 ट्रैप प्रति हेक्टेयरफसल के पूरे मौसम में, मक्खियों की निगरानी और नियंत्रण के लिए
डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (Deltamethrin 2.8% EC)0.5 मि.ली./लीटर पानीमक्खियों के आक्रमण के प्रारंभिक चरण में

महत्वपूर्ण निर्देश:

  • रासायनिक छिड़काव से पहले और बाद में 7-10 दिनों का अंतराल रखें।
  • कीटनाशकों का उपयोग फसल की सुरक्षा और समय पर कटाई सुनिश्चित करने के लिए सही तरीके से करें।
  • उपयोग से पहले निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उनकी अनुशंसित खुराक का पालन करें।

रोकथाम और प्रबंधन के अन्य उपाय:

  1. साफ-सफाई बनाए रखना:
    फसल क्षेत्रों और बागानों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखने से फल मक्खियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। सड़े हुए फलों और सब्जियों को तुरंत हटाया जाना चाहिए।
  2. फलों की समय पर तुड़ाई:
    फलों की समय पर तुड़ाई से मक्खियों के आक्रमण से बचा जा सकता है। फल मक्खियाँ अधिकतर पूरी तरह पके फलों पर आक्रमण करती हैं, इसलिए फलों को समय पर तोड़ना महत्वपूर्ण है।
  3. संचयन (Sanitation):
    खेतों और बागानों में गिरे हुए और सड़े हुए फलों को हटाकर इन मक्खियों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है।
  4. कवकनाशकों का प्रयोग:
    फल मक्खियों से प्रभावित फसलों पर कवकनाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है ताकि सड़ने की प्रक्रिया को रोका जा सके।

निष्कर्ष:
फल मक्खियाँ फसलों के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती हैं, विशेषकर भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में। रासायनिक नियंत्रण के सही और सुरक्षित उपायों को अपनाकर, फल मक्खियों से फसलों की रक्षा की जा सकती है। इसके अलावा, जैविक और प्राकृतिक नियंत्रण के उपायों को भी साथ में अपनाना एक सतत और पर्यावरण-अनुकूल तरीका हो सकता है। किसानों को इन उपायों का सही ज्ञान होना चाहिए, ताकि वे अपनी फसलों को फल मक्खियों से बचा सकें और अपने उत्पादन को सुरक्षित रख सकें।

By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

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