Introduction:
नेशनल फार्मर्स डे यानि किसान दिवस भारत में हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। और इसे भारत के 5वें प्रधान मंत्री श्री चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
सन 1979 से 1980 तक चौधरी चरण सिंह जी भारत के प्रधान मंत्री रहे थे।
चौधरी चरण सिंह ने देश में किसानों के मर्तबे को बुलंद करने और किसान हित में काफी अच्छे और सराहनीय कार्य किए थे।
इस लिए हर साल इस मौके पर ऐसे किसानों की पहचान करके उनके काम को अलग अलग तरीके से सम्मानित करने का कार्य किया जाता है।
हरियाणा में खासतौर से हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी हिसार में इसे काफ़ी धूम धाम से मनाया जाता है। क्योंकि इनके नाम पर ही 1970 में इस यूनिवर्सिटी का निर्माण किया गया था।
चौधरी चरण सिंह जी ने बहुत कम समय के लिए ही इस पद पे रहते हुए देश के किसानों के लिए बहुत कुछ किया और सन 2001 में, उनके इन्हीं कार्यों के लिए याद करते हुए इस दिन को किसान दिवस (नैशनल फार्मर्स डे) के रूप में मनाए जाने लगा।
कृषि हमेशा से ही भारत की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी रही है। और हमारे देश की जनसंख्या की लगभग 50 से 65% जनसंख्या सीधे तौर पर या किसी ना किसी रूप से खेती से जुड़ी हुई है।
कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी है।
ये तमाम आंकड़े हमें काफी गौरांवित करते हैं। और इस पूरी प्रक्रिया के पीछे जो ताकत है वह है हमारे किसान। हमारे किसान ही हमारी खेती की नींव है। जो न सिर्फ खुद के परिवार का पेट भरते हैं बल्कि हमारे मुल्क के 140 करोड़ पेटों का ख्याल भी रखते हैं।
एक वक्त था जब हमारे पास खाने की कमी हुआ करती थी। पर हमारी सरकारों ने कुछ ऐसी पॉलिसीज बनाई जिसके साथ किसानों ने मिलकर अपना दम खम दिखाया। और हमें विश्व स्तर पर इस लायक बना दिया कि आज हम जहां खुद की पापुलेशन का पेट तो भरते ही हैं। साथ में दूसरे देशों को भी अनाज सप्लाई करते हैं।
हमारे किसानों के इन्हीं प्रयासों की वजह से हमें विश्व गुरु माना जाता है। कई देश हमसे उम्मीद लगाए बैठे हैं। और हमारा मुल्क उम्मीद लगाए बैठा है हमारे किसान समुदाय से। यह समुदाय जितना मजबूत होगा उतनी ही मजबूत होगी हमारी अर्थव्यवस्था।
और इसी समाज को या इसी कड़ी को मजबूत करने का काम किया था चौधरी चरण सिंह जी ने। उन्होंने खुद एक किसान होते हुए इस समुदाय के दर्द को समझा और इस समुदाय को ऊपर उठाने में अपनी सारी की सारी जिंदगी लगा दी। यह उन्हीं के प्रयासों से हुआ है कि आज हमारा देश पूरी दुनिया में अनाज उगाने के मामलों में जाना जाता है।
इनके सम्मान में बनी है हरियाणा की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी।
उनके नाम पर ही हरियाणा में चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी हिसार में बनाई गई थी। यह यूनिवर्सिटी एशिया की सबसे बड़ी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी है। और इस यूनिवर्सिटी ने किस समुदाय के लिए बेहद अच्छे-अच्छे काम किए हैं। कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक इजाद की है। और आए दोनों फसलों की उन्नत किस्म निकलती रहती है। हिसार शहर को एजुकेशन का हब माना जाता है। और इस यूनिवर्सिटी ने हरियाणा को न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि पूरे एशिया में एक अलग पहचान दिलाई है। और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह थी चौधरी चरण सिंह जी।
किसान न सिर्फ हमारे लिए खाना पैदा करने का कार्य करते हैं बल्कि वातावरण को शुद्ध रखने में भी इनका काफी बड़ा योगदान होता है। आज जिस तरह से पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या बना हुआ है। ऐसे में एग्रीकल्चर या फिर खेती ने हमारे वातावरण को शुद्धता प्रदान की है। पौधों से निकलने वाली ऑक्सीजन हमारे वातावरण को शुद्ध करने का काम करती है और जो कार्बन डाइऑक्साइड हमारे लिए काफी ज्यादा खतरनाक है उसे कम करने का काम करती है।
कैसी है हमारे किसानों की मौजूदा हालत?
किसान दिवस के इस मौके पर हमारे किसान भाइयों की मौजूदा हालत को भी याद करना बेहद जरूरी है।
आज़ादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी हमारे मुल्क के किसान की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है और परिवार पालन के रास्ते सुनिश्चित नहीं हैं।
इसी वजह से आए दिनों किसान के ख़ुद खुशी के मामले सामने आते रहते हैं, और इसी मुद्दे को इस साल रिलीज़ हुई एक फिल्म जवान में इस मुद्दे पर खूब रोशनी डाली थी।
हाल के दिनों में हॉर्टिकल्चर सैक्टर में हुआ है काफ़ी विकास।
बीते कुछ सालों में किसान ने अपने खेती करने के ढंग में कुछ बदलाव किए हैं और पारंपारिक खेती, गेंहू और धान को छोड़ कर सब्ज़ी व फलों की तरफ़ बढ़े हैं। जिससे उनकी आय में काफ़ी इज़ाफा हुआ है और मौसमी रिस्क भी काफी कम हुआ है।
आज किसान ने भी तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीख लिया है। और किसान समुदाय ने अपनी खेती करने का ढंग बदल लिया है। अब किसान खेती को एक व्यवसाय की तरह देख रहा है। और इससे अच्छी खासी इनकम कमा रहा है। खेती को किस ने इस स्तर पर लाकर पहुंचा दिया है कि अब लोगों को खेती में बिजनेस नजर आने लगा है। अब हमें हर दिन ऐसी कई मिसालें देखने को मिलती हैं जहां लोग अपनी नौकरियां छोड़कर खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।
और अगर यह परंपरा चलती रही तो फिर नेशनल फार्मर्स डे मनाने का जो हमारा उद्देश्य है वह पूरा होता हुआ दिखेगा। इससे न किसान समुदाय को मजबूती मिलेगी बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। और अगर हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो हमारा देश भी मजबूत होगा। और कहीं ना कहीं व्यक्तिगत तौर पर हम भी मजबूत होंगे।
नेट हाउस और पॉलीहाउस के साथ संरक्षित खेती का दायरा भी काफी बढ़ा है। बाहर के देशों, जैसे इज़राइल की तकनीक मुल्क में आई और काफ़ी फली फूली है। और इसका ताज़ा उदाहरण सब्जी उत्कृष्टता केंद्र घरौंडा (करनाल) है।
इस नई तकनीक ने किस समुदाय को एक नई उम्मीद बंधा दी है। और अब उन्हें ऐसा विश्वास होने लगा है कि अब खेती सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं रही बल्कि इससे अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है। और यह सोच कहीं ना कहीं हमारे किसान समुदाय को और ज्यादा मजबूती की तरफ लेकर जाएगी और इससे सुधरेगी हमारी अर्थव्यवस्था।