Introduction:
दोस्तों, अगर आप पौध तैयार करने का काम करते हैं, खुद की ज़रूरत के लिए या बेचने के मकसद से तो आपको पौध की गुणवत्ता को बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। और पौध की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी आपकी मुख्य फसल भी उतनी ही अच्छी होगी। और आपका जो फाइनल प्रोडक्शन होगा, आपकी पैदावार होगी वह आपकी पौध पर ही निर्भर करेगी। और इसी से आपकी इनकम भी आगे चलकर प्रभावित होगी।
और इसके लिए पौधों को अच्छे पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ना सिर्फ अच्छे पोषक तत्वों की, बल्कि जिस पानी के साथ मिला कर आप ये पौधों को देंगे यानि fertigation करेंगे, उस पानी की Electrical Conductivity (EC) वैल्यू भी उतनी ही ज़रूरी होती है।

What Is Electrical Conductivity (EC)?
किसी भी लिक्विड सॉल्यूशन के अंदर से, कितनी तेज़ी से करंट पास होता है, इस गति को electrical conductivity कहते हैं। यह वैल्यू जितनी ज्यादा होगी इसका मतलब यह है कि इस सॉल्यूशन में नमक की मात्रा ज्यादा है। और ज्यादा नमक पौधों के लिए हानिकारक होता है।
और यह वैल्यू जितनी कम होगी इसका मतलब सॉल्यूशन में नमक की मात्रा कम है। आप इसमें फर्टिलाइजर्स के रूप में और ज्यादा नमक मिला सकते हैं। और यह जितनी ज्यादा कंट्रोल में रहेगी पौधों पर उसका उतना ही सकारात्मक असर पड़ेगा।
इस कांसेप्ट को और बेहतर ढंग से समझने के लिए आप हमारी यह वीडियो देख सकते हैं। और खेती बाड़ी से जुड़े हर कॉन्सेप्ट पर हमने वीडियो इस चैनल पर बना कर डाल रखी है। खासतौर से हाईटेक फार्मिंग से संबंधित। आप इस चैनल को यूट्यूब पर विजिट करके खेती-बाड़ी से जुड़ी उन्नत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
EC के बेस पर कैसे करें fertigation schedule?
- दोस्तों, चूंकि फर्टिलाइजर्स के अंदर भी सॉल्ट ही मौजूद होते हैं तो इनको पानी में मिलाने पर इससे पानी में नमक की मात्रा (EC) बढ़ती है और हमारे पौधे एक limit तक ही सॉल्ट को बर्दास्त कर सकते हैं।
- इसीलिए, फर्टिलाइजर्स मिलाने के बाद जो पानी हम अपनी पौध को दें उसका EC ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- अगर ये वैल्यू इससे ज्यादा आती है तो, आप dose कम कर लें। आप अपनी फर्टिलाइजर की मात्रा को टुकड़ों में बांट कर पौधों में हर दिन दें। बजाय इसके कि आप एक साथ सारा फर्टिलाइजर्स पौधों को दें।
- इससे आपके फर्टिलाइजर की बचत होगी और आपके पौधों पर इसका विपरीत असर भी नहीं पड़ेगा। वरना आप समझेंगे कि आप अपने पौधों को सभी न्यूट्रिएंट्स दे रहे हैं पर उनका असर पौधों पर उस तरह से नहीं हो रहा है जिस तरह से होना चाहिए था।

हर तरह की पौध के लिए एक (बेस्ट) fertgation schedule:
- दोस्तों, हम हर पौध के लिए अलग शेड्यूल बनाते हैं जो काफी दिक्कतें पैदा करता है।
- इस ब्लॉग में, मैं आपको एक ऐसा शेड्यूल बताऊंगा जिसे आप सभी तरह की पौध पर एक साथ इस्तेमाल करके भी बेस्ट रिजल्ट्स पा सकते हैं।
- और इस शेड्यूल का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
Basic Requirments:-
01. NPK – 13:00:45 |
02. NPK – 12:61:00 |
03. NPK – 18:18:18 |
04. Calcium nitrate |
05. Magnesium sulphate |
06. Jivras (Humic Acid) |
EC Range:
जो पानी आप फर्टिगेशन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, अगर उसकी EC वैल्यू 500-1000 microSiemens (mS/cm) या इससे कम है तो आप इस शेड्यूल को आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके लिए आपको दो घोल (Solution) तैयार करने पड़ेंगे। और यह दोनों घोल आपको अलग-अलग इस्तेमाल करने हैं एक साथ इस्तेमाल नहीं करने हैं।
Solution 1:
- आपको 500 ग्राम NPK 18:18:18 के साथ 500 ml जीवरस (humic acid) मिलना पड़ेगा।
- ये दोनो चीजें 1000 लीटर पानी में मिलनी हैं।
Solution 2:
- इसके लिए 350 ग्राम NPK 13:00:45+ 350 ग्राम NPK 12:61:00+ Calcium nitrate 350 ग्राम + Magnesium sulphate 350 ग्राम।
- ये सभी कंपोनेंट्स भी आपको 1000 लीटर पानी में मिलनी हैं।
इस्तेमाल करने का तरीका:
- ऊपर दिए गए सभी कंपोनेंट्स 1000 लीटर पानी के हिसाब से लिए गए हैं।
- आपको जितना पानी लेना है उसी हिसाब से डोज को कैलकुले कर लें।
- पहले दिन आपको Solution 1 इस्तेमाल करना है, और 1 या 2 दिन के बाद आपको Solution 2 इस्तेमाल करना है।
- ये solution आप पानी के साथ मिला कर दें यानी फर्टिगेशन करें।
- और जिस गति से आपको अपनी पौध की ग्रोथ चाहिए इसे आप उतनी जल्दी जल्दी इस्तेमाल करें।
- आप चाहें तो इसे हर दिन भी इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर आप इनका इस्तेमाल एक दिन छोड़कर कर सकते हैं या फिर 2 दिन छोड़कर कर सकते हैं।
- पौधों को जो जरूरी 17 न्यूट्रिएंट्स की जरूरत पड़ती है जिसमें macronutrients और micronutrients दोनों होते हैं। और उनकी जरूरत पौधों को किसी भी वक्त पड़ सकती है। हम यह डिसाइड नहीं कर सकते कि किस न्यूट्रिएंट की जरूरत पौधे को कब है?
- इसीलिए इनका पौधों की जड़ों में हर समय रहना बेहद जरूरी है। और अगर यह पौधों की जड़ों में हर समय मौजूद रहेंगे तो पौधे अपने जरूरत के हिसाब से इनको लेते रहेंगे। और जिन न्यूट्रिएंट्स की पौधों को जरूरत नहीं होती है वह या तो वहां पर पड़े रहेंगे या लीच डाउन होकर नीचे चले जाएंगे।
Crop Wise Schedule:-
- बेल वर्ग की फसलों, जैसे खीरा, घीया, करेला, तरबूज, खरबूजा और तोरी में आप दोनों solutions को हफ्ते में एक बार इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इस वर्ग की पौध या पौधों के लिए बहुत ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत नहीं होती। और इनकी कम ज़रूरतें होती हैं। इसलिए हफ्ते में अगर आप एक बार भी इन सॉल्यूशन का इस्तेमाल करेंगे तो भी आपकी पौध तैयार हो सकती है और बढ़िया तैयार हो सकती है।
- पर फिर भी आप इनको इनकी जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि सर्दियों में वेजिटेटिव ग्रंथ कुछ स्लो होती है तो आप सर्दियों में गर्मियों के मुकाबले यह इनकी डोज को बढ़ा सकते हैं।
- टमाटर, बैंगन, हरी मिर्च व शिमला मिर्च की पौध में आप इसे हफ्ते में 2 बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
- टमाटर, बैंगन, गोभी और बंद गोभी, इस तरह की पौध तैयार होने में लगभग 25 से 30 दिन का समय लेती हैं।
- इसलिए इस तरह की पौध में इन पोषक तत्वों की जरूरत उतनी ज्यादा नहीं होती और हफ्ते में अगर आप दो बार भी इनका इस्तेमाल करेंगे तो आपका काम चल जायेगा।
- पर मिर्च और शिमला मिर्च और खासतौर से रंगीन शिमला मिर्च तैयार होने में ज्यादा समय लेती है।
- गर्मियों में यह करीब 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती हैं पर सर्दियों में यह समय और बढ़ जाता है। और इनकी पौध तैयार होने में लगभग 45 से 50 दिन का समय लग जाता है।
- तो ऐसे में इन्हें पोषक तत्वों की भी ज्यादा जरूरत होती है तो मिर्च और शिमला मिर्च में आप इन सॉल्यूशंस का इस्तेमाल बढ़ा दें और हफ्ते में दो से तीन बार इनका इस्तेमाल करें।
इस तरीके को और बेहतर ढंग से समझने के लिए आप हमारी ये वीडियो देख सकते हैं: