भारत में हर्बिसाइड-टॉलरेंट बीटी कपास (HTBT) का उपयोग एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद विषय बन गया है। सरकार इस पर विचार कर रही है कि कैसे इस किस्म को अनुमति दी जाए, जबकि उद्योग की मांगें बढ़ती जा रही हैं।
HTBT कपास क्या है?
हर्बिसाइड-टॉलरेंट बीटी कपास एक जेनेटिकली मॉडिफाइड फसल है जिसे विशेष रूप से हर्बिसाइड्स के प्रति सहनशील बनाने के लिए विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसान इसे उगाते समय हर्बिसाइड्स का उपयोग कर सकें, जिससे उन्हें खरपतवारों से छुटकारा पाने में मदद मिले।
सरकार की स्थिति
कृषि आयुक्त पीके सिंह ने हाल ही में कहा कि उद्योग हर्बिसाइड glyphosate के उपयोग की मांग कर रहा है। इस बीच, सरकार HTBT कपास की अनुमति देने पर विचार कर रही है। यह एक जटिल नीति निर्णय है, क्योंकि हर्बिसाइड glyphosate के स्वास्थ्य पर संभावित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
उद्योग की मांग
कपास उत्पादन में लगे किसानों और उद्योग के लोगों का कहना है कि HTBT कपास का उपयोग करने से उनकी लागत कम होगी। एक बार glyphosate छिड़कने से उन्हें खरपतवारों को हटाने के लिए अतिरिक्त श्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे वे प्रति एकड़ ₹7,000 से ₹8,000 तक बचत कर सकते हैं।
पर्यावरणीय चिंताएँ
हालांकि, इस तकनीक के उपयोग से पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि glyphosate का अत्यधिक उपयोग “सुपरवीड्स” के विकास को बढ़ावा दे सकता है, जो सामान्य खरपतवारों की तुलना में अधिक प्रतिरोधी होते हैं। इससे कृषि प्रणाली में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
अवैध बीजों का मुद्दा
भारत में अवैध HTBT बीजों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, 2017 में लगभग 15% कपास क्षेत्र अवैध HTBT बीजों से भरा था। यह स्थिति न केवल किसानों के लिए खतरा पैदा करती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
समाधान की आवश्यकता
सरकार को एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जिसमें मशीनरी, हर्बिसाइड्स और हर्बिसाइड-टॉलरेंट किस्मों का मिश्रण शामिल हो। साथ ही, खरपतवार प्रबंधन के लिए नए और प्रभावी तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
हर्बिसाइड-टॉलरेंट बीटी कपास का मुद्दा भारत में कृषि नीति और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। जबकि यह किसानों के लिए लागत बचत का अवसर प्रदान करता है, इसके संभावित स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों पर विचार करना आवश्यक है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि कृषि प्रणाली को सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जा सके।