Introduction:
बीटी कपास (Bt cotton) एक आनुवांशिक रूप से संशोधित कपास है, जिसे बैसिलस थुरिन्जेंसिस (Bacillus thuringiensis) नामक जीवाणु से प्राप्त कीटनाशक जीन के साथ विकसित किया गया है। यह जीवाणु प्राकृतिक रूप से एक विषैले प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो कीटों के लिए हानिकारक होता है। इस प्रकार के कपास को विशेष रूप से कीटों, जैसे कि कपास बॉलवर्म, से सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
भारत में, बीटी कपास का उपयोग 2002 से शुरू हुआ और यह अब देश के कपास उत्पादन का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। इसके आगमन ने भारतीय कपास क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं, लेकिन इसके साथ ही कई आलोचनाएँ भी हुई हैं, जिसमें किसानों की आजीविका पर इसके नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं.
बीटी कपास को आमतौर पर कीटनाशकों के उपयोग को कम करने और पैदावार बढ़ाने के लिए एक समाधान के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके प्रभावों पर लगातार बहस चलती रहती है।
आईए समझते हैं आज के इस ब्लॉग में Bt cotton को थोड़ा डिटेल्स में।
बीटी कपास के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जो किसानों और कृषि पर प्रभाव डालते हैं।
बीटी कपास के फायदे और नुकसान क्या हैं। (Pros and Cons of Bt Cotton).
फायदे
- कीट प्रतिरोध: बीटी कपास में बैसिलस थुरिन्जेंसिस (Bt) जीन होता है, जो इसे प्रमुख कीटों, जैसे कपास बॉलवर्म, से सुरक्षित रखता है। इससे कीटनाशकों का उपयोग कम होता है.
- उत्पादन में वृद्धि: बीटी कपास ने भारत में कपास उत्पादन में 40-50% की वृद्धि की है, जिससे किसानों की आय में सुधार हुआ है.
- कम कीटनाशक खर्च: बीटी कपास की खेती से कीटनाशकों पर खर्च में कमी आई है, जिससे पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
नुकसान
- उच्च लागत: बीटी कपास के बीज की कीमत पारंपरिक बीजों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है, जिससे किसानों की ऋणग्रस्तता बढ़ती है.
- कीट प्रतिरोध का विकास: लंबे समय तक बीटी कपास की खेती से कीटों में प्रतिरोध विकसित हो सकता है, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है.
- किसानों की आत्महत्या: उच्च लागत और फसल नुकसान के कारण किसानों की आत्महत्या की दर में वृद्धि हुई है, खासकर छोटे और मध्यम किसानों में.
इन पहलुओं के आधार पर, बीटी कपास के लाभ और हानियों का संतुलन बनाना आवश्यक है।
What is the difference between Bt cotton and normal cotton?
बीटी कपास और सामान्य कपास के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:
बीटी कपास
- आनुवांशिक संशोधन: बीटी कपास को बैसिलस थुरिन्जेंसिस (Bacillus thuringiensis) नामक जीवाणु के जीन के साथ आनुवांशिक रूप से संशोधित किया गया है, जिससे यह कीट प्रतिरोधी बनता है। यह कपास के पौधों में एक प्राकृतिक कीटनाशक प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो मुख्य रूप से कपास बॉलवर्म जैसे कीटों को मारता है।
- उच्च पैदावार: बीटी कपास की खेती से उत्पादन में वृद्धि होती है, क्योंकि यह कीटों के प्रभाव को कम करता है, जिससे फसल को नुकसान नहीं होता।
- कम कीटनाशक उपयोग: बीटी कपास की खेती से कीटनाशकों के उपयोग में कमी आती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सामान्य कपास
- परंपरागत खेती: सामान्य कपास को आनुवांशिक रूप से संशोधित नहीं किया गया है और इसे कीटों से बचाने के लिए पारंपरिक कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ता है।
- कम पैदावार: सामान्य कपास की पैदावार बीटी कपास की तुलना में कम होती है, क्योंकि यह कीटों के हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।
- अधिक कीटनाशक उपयोग: सामान्य कपास की खेती में कीटनाशकों का अधिक उपयोग होता है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इन अंतर के आधार पर, बीटी कपास को अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प माना जाता है, जबकि सामान्य कपास में अधिक जोखिम और लागत होती है।
What is the other name for Bt cotton?
1996 में, बोलगार्ड कपास (Bollgard cotton), जो मोंसेंटो का ट्रेडमार्क है, अमेरिका में बाजार में लाया गया। यह पहला बीटी कपास था, जो बैसिलस थुरिन्जेंसिस (Bt) के जीन से संशोधित किया गया था।
बोलगार्ड कपास एक विषाक्त प्रोटीन, क्राई 1एसी (Cry 1Ac), का उत्पादन करता है, जो तंबाकू बडवॉर्म और गुलाबी बॉलवॉर्म जैसे कीटों पर अत्यधिक प्रभावी होता है।बोलगार्ड कपास की खेती ने किसानों को कीट प्रबंधन के लिए एक नया विकल्प प्रदान किया। इसके उपयोग से किसानों ने कीटनाशकों की खपत में कमी की और उत्पादन लागत को भी कम किया।
इसके परिणामस्वरूप, कपास की पैदावार में वृद्धि हुई और किसानों की आय में सुधार हुआ।बोलगार्ड कपास की लोकप्रियता ने इसे अमेरिका के कपास उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है, जहां 1999 में 84% किसान इस फसल से संतुष्ट थे। इसके प्रभावी कीट नियंत्रण के कारण, बीटी कपास ने पारंपरिक कपास की तुलना में अधिक लाभ प्रदान किया है। इस प्रकार, बोलगार्ड कपास ने कृषि में एक नई दिशा दी है, जो किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है।
Why is BT Brinjal banned in India?
भारत में बीटी बैंगन (Bt Brinjal) को 2010 में प्रतिबंधित किया गया था, और इसके पीछे कई कारण हैं।
स्वास्थ्य और सुरक्षा चिंताएँ
बीटी बैंगन को मानव स्वास्थ्य पर संभावित नकारात्मक प्रभावों के कारण चिंता का विषय माना गया। इसमें एंटीबायोटिक मार्कर्स होते हैं, जो प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव
विभिन्न वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने बीटी बैंगन के पर्यावरणीय प्रभावों पर सवाल उठाए हैं। इसमें जैव विविधता के लिए खतरा और भारत में मौजूदा बैंगन की किस्मों का प्रदूषण शामिल है। भारत में बैंगन की 3,000 से अधिक किस्में हैं, और बीटी बैंगन के आने से ये किस्में प्रभावित हो सकती हैं।
सरकारी निर्णय
भारत सरकार ने बीटी बैंगन के व्यावसायिक उपयोग पर 2010 में 10 साल का मोराटोरियम लगाया, यह कहते हुए कि इसके लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। इसके अलावा, कई राज्य सरकारों ने भी जीएम फसलों के खिलाफ आवाज उठाई है।
निष्कर्ष
इन चिंताओं के कारण, बीटी बैंगन को भारत में बैन किया गया है, और इसे लेकर अभी भी बहस जारी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी जीएम फसल के लिए सुरक्षा और लाभ के स्पष्ट प्रमाण हों।