WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Profile Follow Me

भारत में चारा फसलों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि ये पशुओं के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करती हैं। पशुपालन में चारा फसलों की भूमिका मुख्य होती है, जिससे जानवरों की सेहत और उत्पादकता में सुधार होता है। ज्वार (सोरघम) के अलावा भी कई अन्य चारा फसलें हैं, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाई जाती हैं। इस लेख में, हम उन्हीं चारा फसलों पर चर्चा करेंगे जो ज्वार के अलावा उपयोग की जाती हैं, और इनके पोषण मूल्य के बारे में भी जानेंगे।

प्रमुख चारा फसलें

भारत में कुछ मुख्य चारा फसलें हैं, जिनका उपयोग पशुओं के लिए किया जाता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण फसलें इस प्रकार हैं:

बर्सीम (Egyptian Clover)

बर्सीम एक प्रमुख रबी चारा फसल है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में उगाई जाती है। यह फसल उच्च मात्रा में प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होती है, जिससे पशुओं के लिए यह बहुत ही पौष्टिक और लाभकारी होती है। बर्सीम का हरित चारा उत्पादन लगभग 60-110 टन प्रति हेक्टेयर होता है, और इसमें प्रोटीन की मात्रा 15-20% तक होती है।

लुसर्न (Alfalfa)

लुसर्न, जिसे “राजा चारा” भी कहा जाता है, एक उच्च गुणवत्ता वाली चारा फसल है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 18-25% तक होती है और यह पौष्टिक पत्तियों से भरपूर होती है। इसके पत्ते जानवरों के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। लुसर्न का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 60-130 टन तक हो सकता है, जिससे यह फसल आर्थिक रूप से भी लाभकारी साबित होती है।

ओट्स (Oats)

ओट्स एक महत्वपूर्ण चारा फसल है, जो ठंडे मौसम में उगाई जाती है। इसका उपयोग सिर्फ चारे के रूप में नहीं, बल्कि अनाज के रूप में भी किया जाता है। इसमें 10-15% प्रोटीन होता है, और यह लगभग 35-50 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन करती है। ओट्स में कैल्शियम और फास्फोरस की संतुलित मात्रा होती है, जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

ग्वार (Cluster Bean)

ग्वार एक बहुउपयोगी फसल है, जो न केवल चारे के लिए, बल्कि खाद्य फसल के रूप में भी उगाई जाती है। यह फसल सूखे में भी सहनशील होती है, जिससे यह उन क्षेत्रों में उपयोगी होती है जहाँ जलवायु शुष्क होती है। ग्वार में 18-22% तक प्रोटीन होता है और इसका उत्पादन 15-30 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है।

मक्का (Maize)

मक्का एक प्रमुख चारा फसल है, जो गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है। इसका उपयोग चारे और अनाज दोनों के लिए होता है। मक्का में 8-10% तक प्रोटीन होता है और यह लगभग 30-35 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन करती है। इसका पोषण मूल्य पशुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जिससे उनकी सेहत में सुधार होता है।

फेनुग्रीक (Fenugreek)

फेनुग्रीक, जिसे हिंदी में मेथी कहा जाता है, एक बहुउपयोगी फसल है। इसका उपयोग न केवल चारे के रूप में, बल्कि मसाले और औषधि के रूप में भी होता है। इसमें 20-25% तक प्रोटीन होता है और यह 20-35 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन कर सकती है।

काउपी (Cowpea)

काउपी एक प्रमुख दलहनी फसल है, जिसका उपयोग चारे के रूप में किया जाता है। यह फसल प्रोटीन में समृद्ध होती है और इसमें 20-25% तक प्रोटीन पाया जाता है। काउपी का हरित चारा उत्पादन 25-45 टन प्रति हेक्टेयर तक होता है, जिससे यह फसल किसानों के लिए लाभकारी होती है।

चारा फसलों का पोषण मूल्य

भारत में उगाई जाने वाली विभिन्न चारा फसलों का पोषण मूल्य इस प्रकार है:

चारा फसलप्रोटीन (%)कैल्शियम (%)फास्फोरस (%)हरित चारा उत्पादन (टन/हेक्टेयर)
बर्सीम15-200.80.460-110
लुसर्न18-251.00.560-130
ओट्स10-150.50.435-50
ग्वार18-220.60.315-30
मक्का8-100.30.230-35
फेनुग्रीक20-250.50.320-35
काउपी20-250.40.325-45

फोडर क्रॉप्स की सिलेज बनाने का प्रक्रिया क्या होती है?

सिलेज (Silage) एक प्रकार का चारा है, जो हरे चारे को किण्वन (Fermentation) करके बनाया जाता है। यह आमतौर पर पशुओं के लिए पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। फोडर क्रॉप्स जैसे मक्का, ज्वार, और बाजरा का उपयोग सिलेज बनाने के लिए किया जाता है। यहाँ सिलेज बनाने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है:

1. फसल की कटाई

  • कटाई का समय: फसल को तब काटें जब वह दूधिया अवस्था में हो, जिससे उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक हो।
  • सुखाना: कटाई के बाद, चारे को थोड़ी देर के लिए खेत में सुखाने के लिए छोड़ दें, ताकि उसकी नमी लगभग 60-70% रह जाए।

2. चारे को काटना

  • काटने की मशीन: चारे को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के लिए कुट्टी काटने वाली मशीन का उपयोग करें। टुकड़ों का आकार 1 से 3 सेंटीमीटर होना चाहिए, ताकि वे आसानी से भरे जा सकें।

3. भराई की प्रक्रिया

  • साइलो पिट्स या थैलों में भरना: काटे हुए चारे को साइलो पिट्स या प्लास्टिक थैलों में भरें। भरते समय चारे को अच्छी तरह दबाएं ताकि उसमें से हवा निकल जाए।
  • दबाने की विधि: छोटे गड्ढों को पैरों से और बड़े गड्ढों को ट्रैक्टर से दबाएं। भराई के बाद, चारे को गुम्बदाकार बना दें और ऊपर से पोलिथीन या सूखे घास से ढक दें।

4. सील करना

  • सीलिंग: चारे को सील करने के लिए मिट्टी से अच्छी तरह दबा दें ताकि बाहर से पानी और हवा न जा सके। इससे किण्वन प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।

5. गड्ढों का खोलना

  • खोलने का समय: गड्ढे भरने के तीन महीने बाद उन्हें खोलें। खोलते समय ध्यान रखें कि सिलेज को एक तरफ से परतों में निकाला जाए और गड्ढे का कुछ हिस्सा ही खोला जाए।
  • सिलेज की गुणवत्ता: गड्ढे के ऊपरी भागों और दीवारों के पास कुछ फफूंदी लग सकती है। ऐसे सिलेज को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।

6. पशुओं को सिलेज खिलाना

  • खिलाने का समय: गड्ढे खोलने के बाद, सिलेज को जितना जल्दी हो सके पशुओं को खिलाएं। यह सुनिश्चित करें कि सिलेज ताजा हो और उसमें कोई खराबी न हो।

निष्कर्ष

भारत में ज्वार के अलावा भी कई चारा फसलें हैं, जो पशुपालन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन चारा फसलों का पोषण मूल्य बहुत अधिक होता है, जो पशुओं की सेहत और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता है। बर्सीम, लुसर्न, ओट्स, ग्वार, मक्का, फेनुग्रीक और काउपी जैसी फसलें न केवल पोषण से भरपूर होती हैं, बल्कि किसानों के लिए भी एक अच्छा आर्थिक स्रोत हो सकती हैं। इन फसलों की उचित खेती और प्रबंधन से किसान अपने पशुपालन को और अधिक लाभदायक बना सकते हैं। भारत में चारा फसलों की यह विविधता पशुपालन के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता की कुंजी साबित हो रही है।

By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सरसों के तेल के ये 7 फायदे जानकर आप रह जायेंगे हैरान|  Who was Ustaad Zakir Hussain? पौधों के लिए एक अमृत की तरह है मल्टीप्लेक्स कंपनी का जनरल लिक्विड| क्या है ‘व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0’ और कैसे ये महिलाओं को बनाएगा सशक्त? मसालों की लिस्ट में अगर नहीं है हल्दी, तो रह जाओगे काफी फायदों से महरूम| खाली पेट बादाम खाने के हैं बेशुमार फायदे, अभी डाइट में करें शामिल| सेहत का खज़ाना है ब्रसेल्स स्प्राउट्स (Brussels Sprouts), फायदे जानकर आप भी रह जायेंगे हैरान| “Women’s T20 World Cup 2024: Soaring to New Heights in Cricket!” इंडिया में खाए जाने वाले 5 मुख्य ट्रेडिशनल डिशेज, आपकी पसंदीदा कौनसा है? कौनसे हैं दुनिया के 5 सबसे ज्यादा जहरीले सांप? जानकर रह जायेंगे हैरान!