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Introduction:

दोस्तों, हाल ही में Agriculture Ministry की तरफ से जारी एक रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है कि पिछले 5 सालों में Agriculture Ministry ने सरकार द्वारा उन्हें जो बजट allote किया गया था। उसमें से 1 लाख करोड़ रूपए वापिस सरेंडर कर दिए।

ये खबर अपने आप में 2 पहलुओं को समेटे हुए है। तो क्या हैं इस खबर के पूरे मायने? और इसका क्या होगा किसान समुदाय पर असर? समझेंगे आज के इस ब्लॉक में।

आख़िर क्या है पूरा मामला?

हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश हुई है जिसका शीर्षक है “Accounts at a Glance for the Year 2022-23”. जिसके मुताबिक Department of Agriculture & Farmers’ Welfare ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच जो बजट (1.24 लाख करोड़) सरकार दिया था। उसमें से 21005.13 करोड़ वापिस सरेंडर कर दिया।

और ये आंकड़ा पिछले साल से के मुकाबले लगभग 4 गुना है। पिछले साल ministry ने 5152.6 करोड़ रूपए वापिस सेरेंडर किए थे। और इस तरह से कुल मिलाकर पिछले 5 सालों में ministry ने तकरीबन 1 लाख करोड़ रूपए वापिस सरेंडर कर दिए हैं। इसके अलावा The Department of Agriculture Research and Education जो इसी ministry के अंतर्गत आता है। इसने भी कुछ बजट सरेंडर किया है।

ये वो पैसा था जी किसानों की भलाई और उनके लिए नई योजनाएं बनाने के लिए सरकार ने दिया था। अगर ये पैसा पूरा खर्च भी हो जाता तो भी उनसे कोई जवाब इसका नहीं मांगा जाता।

क्या किसानों के लिए सही स्कीमें नहीं बनाई गई?

जो पैसा Agriculture Ministry ने वापिस सरेंडर किया है, ये लगभग इनके एक साल के बजट के बराबर है। और पिछले सालों में केंद्रीय सरकार ने PM Kisan Samman Nidhi के अंतर्गत ministry का बजट एलोकेशन भी बढ़ा दिया था। और पिछले साल ये 2.3% के आस पास बढ़ा था। और ये कुल मिलाकर 54000 करोड़ के आस पास बनता है।

क्या है PM Kisan Samman Nidhi?

ये एक central sector स्कीम है जो Govt of India द्वारा 1 फरवरी 2019 को शुरू की गई थी। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा small और marginal farmers को उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार की तरफ से सालाना 6000 रुपए की मदद दी जाती है। और इसे 2000 की तीन किस्तों में दिया जाता है।

इसके लिए कुछ खास मापदंडों को माना जाता है:

  • किसान भारत का नागरिक होना चाहिए;
  • उसके पास 2 हेक्टेयर तक जमीन होनी चाहिए;
  • वो किसी cooperative society या producer company का मेंबर नहीं होना चाहिए;
  • सरकार की तरफ से वो किसी और income support स्कीम का फायदा नहीं ले रहा हो।

ये स्कीम किसके द्वारा लागू की जाती है?

इस स्कीम को लागू करने, इसे manage करने के लिए सरकार ने 2 अलग अलग body बनाई हुई हैं।

  1. The Department Of Agriculture and Farmers Welfare;
  2. Ministry of Agriculture and Farmers Welfare.

इस स्कीम का फायदा किसान को सीधा उनके खाते में DBT यानी Direct Benefit Transfer के मध्यम से किया जाता है। जिससे इस स्कीम की पारदर्शिता बरकरार रहती है। और जनवरी 2024 तक, 12.5 करोड़ किसानों ने इस स्कीम के लिए रजिस्टर किया है। और 1.5 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी किसानों के खातों में डाली जा चुकी है।

इस स्कीम को किसानों के बीच में काफी पसंद किया जाता है। और इसने ग्रामीण क्षेत्रों में किसान भाइयों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद की है।

Standing Committee On Agriculture ने बनाया है इसे मुद्दा।

इस मुद्दे को Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing ने भी हाईलाइट किया है। उनका कहना कि इस तरह से बजट को कम किया जाना चाहिए। या फिर शुरू में ही इतना बजट डिमांड न करें।

ऐसा करने से बजट ब्लॉक हो जाता है और इससे जो फायदे किसानों को होने चाहिए थे वो नहीं मिल पाते।

इसके अलावा इस साल एक नया आंकड़ा निकल कर सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि भारतीय सरकार वर्ष 2024 में food and fertilizers subsidy पर लगभग 4 ट्रिलियन रुपए खर्च करने जा रही है। जिसकी कीमत लगभग $48 billion बनती है। और ये अपने आप में एक बड़ी खबर है।

इससे किसान समुदाय को काफी फायदा होगा। क्योंकि खाद जैसे की यूरिया जो हर किसान अपने खेत में इस्तेमाल जरूर करता है। और इसके बिना उसकी खेती संभव नहीं है। इसका एक बैग किसानों को बाजार में लगभग 270 रुपए के मिलता है। पर ये कीमत इसकी सब्सिडी काटने के बाद होती है।

हालांकि सरकार जो यूरिया का बाग खरीदती है उसकी कुल कीमत सरकार को लगभग 1700-2400 रुपए के आस पास पड़ती है। पर क्योंकि यूरिया के बिना खेती करना किसान के लिए संभव नहीं है। इसीलिए सरकार इस बाग पर भरी सब्सिडी किसानों को देती है। और यही वजह है कि इसकी काला बाजारी आमतौर पर देखने को मिलती है।

Neem Coated Urea के जरिए कालाबाजारी रोकने की कोशिश।

यूरिया का इस्तेमाल इंडस्ट्रीज में भी अलग अलग प्रॉडक्ट बनाने के लिए किया जाता है। इस लिए जो यूरिया खेती में इस्तेमाल होना चाहिए था वो इंडस्ट्रीज में लोग इस्तेमाल करने लगे हैं। और इससे किसानों के लिए यूरिया की कमी हो जाती थी। पर इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया और नीम कोटेड यूरिया बनाया।

इस प्रक्रिया में यूरिया के दानों के ऊपर Neem Oil की परत चढ़ा दी जाती है। और फिर ये नीम ऑयल इस यूरिया के साथ मिलकर कीटनाशक का भी काम करता है। और ये यूरिया की efficiency को और भी बढ़ा देता है। नीम ऑयल यूरिया की nitrification को भी कम करके इसे धीरे धीरे ammonia और फिर nitrate में बदलने देता है। जिससे इसका loss काफी कम हो जाता है। और ये पौधों को अधिक मात्रा में मिलना शुरू हो जाता है।

इससे फसलों की पैदावार में 10 से 15% तक बढ़ोतरी देखी गई है। और इससे पहले के मुकाबले में 10% कम यूरिया भी इस्तेमाल होता है।

नीम की कोटिंग से transportation के दौरान इसका छोटे छोटे टुकड़ों में टूटना भी कम हो जाता है। और इससे यूरिया की wastes भी काफी ज्यादा काम हो जाती है। और हमारी फसलों को कम खर्चे में ज्यादा फायदा भी मिल जाता है।

Conclusion

तो दोस्तों, ये सभी कदम जो सरकार उठा रही है ये किसानों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद हैं। और इससे किसान समुदाय की हालत पहले से बेहतर होती चली जायेगी। हम उम्मीद करेंगे कि सरकार आगे भी ऐसे और कदम किसान हित के लिए उठती रहेगी।

By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

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