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शहद और मधुमक्खी प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में शहद और मधुमक्खियों का उल्लेख उनके पोषण, औषधीय गुणों और आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में मिलता है। इनका जिक्र न केवल भौतिक गुणों के कारण हुआ है, बल्कि इन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना गया है। इस लेख में हम शहद और मधुमक्खियों के उल्लेख को विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में खोजने का प्रयास करेंगे।

1. शहद और मधुमक्खी का उल्लेख बाइबल में

बाइबल, जो ईसाई धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है, में शहद और मधुमक्खियों का कई बार उल्लेख हुआ है। बाइबल में शहद को मिठास और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। पुराने नियम में शहद का जिक्र तब हुआ जब मूसा और इस्राएली लोग “दूध और शहद की भूमि” (पैगंबरों की भूमि) के बारे में बात कर रहे थे। इस कथन से स्पष्ट होता है कि शहद को समृद्धि, शांति और आशीर्वाद का प्रतीक माना गया था।

उद्धरण:
“मैं तुम्हें एक अच्छी और विशाल भूमि में ले जाऊँगा, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।”
(निर्गमन 3:8)

इसके अलावा, बाइबल में शहद का उपयोग भोजन के रूप में भी किया गया है। यहूदी परंपराओं में शहद का विशेष महत्व है, विशेष रूप से योम किप्पुर के अवसर पर।

2. शहद का उल्लेख क़ुरान में

इस्लाम के पवित्र ग्रंथ क़ुरान में शहद और मधुमक्खियों का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। क़ुरान के सोलहवें अध्याय, जिसे “अल-नहल” (मधुमक्खी) कहा जाता है, में मधुमक्खी के जीवन और उसके द्वारा उत्पन्न शहद की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया गया है। क़ुरान में शहद को औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है और इसे मानव जाति के लिए ईश्वर का उपहार माना गया है।

उद्धरण:
“तुम्हारे पालनहार ने मधुमक्खी के मन में यह बात डाल दी कि पहाड़ों में और पेड़ों में और जो लोग बनाते हैं, उनमें अपना घर बनाओ। फिर हर प्रकार के फल खाओ और अपने पालनहार के रास्तों पर चलो। उनके पेट से रंग-बिरंगा पेय निकलता है, जिसमें लोगों के लिए शिफ़ा है।”
(सूरह अल-नहल 16:68-69)

क़ुरान में मधुमक्खियों को एक अद्भुत जीव के रूप में दर्शाया गया है जो इंसानों के लिए स्वास्थ्यवर्धक शहद का उत्पादन करती हैं।

3. शहद और मधुमक्खी का उल्लेख हिंदू धर्म में

हिंदू धर्म में शहद और मधुमक्खियों का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। वेदों और पुराणों में शहद को अमृत के रूप में माना गया है, जो जीवन को दीर्घायु और स्वस्थ बनाता है। शहद को ‘मधु’ कहा जाता है, और यह हिंदू धर्म के पांच प्रमुख उपहारों में से एक है, जिन्हें ‘पंचामृत’ कहा जाता है। पंचामृत में शहद, दही, दूध, घी और शक्कर का मिश्रण होता है, जिसका उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है।

उद्धरण:
“मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः।”
(ऋग्वेद 1.90.6)

इस मंत्र में शहद को प्राकृतिक शुद्धता, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा, शहद का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है, जहाँ इसे औषधीय गुणों वाला माना गया है।

4. शहद और मधुमक्खी का उल्लेख बौद्ध धर्म में

बौद्ध धर्म में भी शहद का महत्व है। बौद्ध ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान बुद्ध ने वर्षावास (वर्ष के कुछ महीने जब बौद्ध भिक्षु एक ही स्थान पर रहते थे) के दौरान शहद का सेवन किया था। शहद को बौद्ध धर्म में एक पवित्र भोजन माना गया है और इसे दान के रूप में भी भिक्षुओं को दिया जाता था।

उद्धरण:
शहद की कहानी ‘मधु पूजा’ के रूप में जानी जाती है, जहाँ बुद्ध को एक बंदर ने शहद भेंट किया था। यह घटना बुद्ध के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है।

5. शहद और मधुमक्खी का उल्लेख यहूदी धर्म में

यहूदी धर्म में शहद का विशेष धार्मिक महत्व है। यहूदी कैलेंडर के अनुसार, नए वर्ष (रोश हशाना) के दिन यहूदी लोग सेब को शहद में डुबोकर खाते हैं। यह रिवाज इस विश्वास पर आधारित है कि आने वाला साल मिठास और खुशहाली से भरा हो।

उद्धरण:
“तुम्हें शहद मिले तो उसे खा लेना, क्योंकि वह अच्छा है; और शहद का छत्ता मीठा है तुम्हारे मुँह के लिए।”
(नीतिवचन 24:13)

यहूदी धर्म में शहद को शुद्धता और मिठास का प्रतीक माना गया है, जो जीवन में ईश्वर की कृपा का प्रतीक है।

निष्कर्ष

शहद और मधुमक्खियों का धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख सिर्फ एक साधारण भोजन या औषधि के रूप में नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं। बाइबल, क़ुरान, वेद, और बौद्ध ग्रंथों में शहद को जीवनदायिनी, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। धार्मिक दृष्टिकोण से शहद केवल एक प्राकृतिक उत्पाद नहीं है, बल्कि यह ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक है, जो जीवन को मिठास, स्वास्थ, और शांति प्रदान करता है।

By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

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