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हिल्सा मछली, जिसे वैज्ञानिक रूप से (Tenualosa ilisha) कहा जाता है, (herring family) की एक प्रमुख प्रजाति है और भारतीय उपमहाद्वीप में खाद्य मछली के रूप में इसका बहुत महत्व है। इसे बंगाली में ‘इलिश’ के नाम से जाना जाता है और इसके अन्य नामों में (Hilsa herring) और (Hilsa shad) शामिल हैं।

विशेषताएँ और आवास
हिल्सा मछली 60 सेमी तक लंबी हो सकती है और इसका वजन लगभग 3 किलो तक हो सकता है। यह एक (anadromous) मछली है, जिसका मतलब है कि यह ताजे पानी और समुद्री पर्यावरण के बीच प्रवास करती है। यह मुख्य रूप से बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों की नदियों और मुहानों में पाई जाती है। बांग्लादेश की पद्मा नदी हिल्सा मछली पकड़ने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, और बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो वैश्विक आपूर्ति का लगभग 86% उत्पादन करता है।

पाक महत्व
हिल्सा अपने समृद्ध स्वाद और उच्च तेल सामग्री के लिए जानी जाती है, जो इसे दक्षिण एशियाई व्यंजनों में खासतौर से लोकप्रिय बनाती है। विशेषकर बंगाली व्यंजन जैसे (Shorshe Ilish), जिसमें सरसों के बीज का उपयोग होता है। यह मछली (omega-3 fatty acids) से भी समृद्ध है, जिससे यह पौष्टिक खाद्य विकल्प के रूप में लोकप्रिय है।

What are the best ways to cook Hilsa fish?

हिल्सा मछली या (Ilish) को कई स्वादिष्ट तरीकों से पकाया जा सकता है, खासकर बंगाली व्यंजनों में इसका विशेष महत्व है। यहां कुछ बेहतरीन तरीके दिए गए हैं जिनसे हिल्सा पकाई जाती है:


1. इलिश माछ भाजा (Ilish Maach Bhaja) (Fried Hilsa)

सामग्री: हिल्सा के टुकड़े, नमक, हल्दी, सरसों का तेल।
तरीका: हिल्सा के टुकड़ों को लगभग 10 मिनट के लिए नमक और हल्दी में मेरिनेट करें। सरसों के तेल को धुआं आने तक गरम करें, फिर टुकड़ों को धीरे-धीरे हर तरफ 2-3 मिनट के लिए सुनहरा भूरा होने तक तलें। इसे सादे चावल के साथ परोसें, और आप चाहें तो ऊपर से थोड़ा और सरसों का तेल डाल सकते हैं।


2. इलिश बेगुनर झोल (Ilish Beguner Jhol) (Hilsa and Eggplant Curry)

सामग्री: हिल्सा मछली, बैंगन, सरसों का तेल, कलौंजी के बीज, हरी मिर्च, हल्दी और मसाले।
तरीका: मेरिनेट की हुई हिल्सा और बैंगन को हल्का तल लें। उसी तेल में कलौंजी के बीज और हरी मिर्च डालकर तड़का लगाएं, फिर पानी और मसाले डालकर उसमें मछली और बैंगन को धीमी आंच पर पकने दें। इसे चावल के साथ परोसें।


3. इलिश भापा (Ilish Bhapa) (Steamed Hilsa)

सामग्री: हिल्सा मछली, सरसों का पेस्ट, हरी मिर्च और मसाले।
तरीका: मछली को सरसों के पेस्ट और मसालों के साथ मेरिनेट करें, फिर इसे केले के पत्ते या स्टीमिंग डिश में रखकर भाप में पकाएं। यह तरीका मछली की नमी और स्वाद को बनाए रखता है।


4. इलिश माछेर झोल (Ilish Macher Jhol) (Light Curry)

सामग्री: हिल्सा, आलू, बैंगन, सरसों का तेल और हल्के मसाले।
तरीका: मछली और सब्जियों को हल्का तलें, फिर मसालों के साथ एक हल्की शोरबा में धीमी आंच पर पकाएं ताकि एक स्वादिष्ट करी तैयार हो सके।


ये तरीके हिल्सा के अनोखे स्वाद को उजागर करते हैं, जिससे यह कई घरों में एक पसंदीदा व्यंजन बन जाती है।

Why is Hilsa fish so special?

हिल्सा मछली या (Hilsa fish) को खास बनाने वाले कई कारण हैं, जो इसे भारतीय उपमहाद्वीप में एक अनोखी मछली बनाते हैं।

पहला कारण इसका अद्वितीय स्वाद है। (Hilsa) अपने समृद्ध और मलाईदार स्वाद के लिए जानी जाती है, खासकर (Bengali cuisine) में इसका प्रमुख स्थान है। हिल्सा की खासियत यह है कि इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसके पकने पर एक विशेष स्वाद और खुशबू निकलती है। इसके अलावा, इसका मांस मुलायम और नाजुक होता है, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।

दूसरा कारण इसका पोषण मूल्य है। हिल्सा मछली (omega-3 fatty acids) से भरपूर होती है, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह मछली प्रोटीन और विटामिन से भी समृद्ध होती है, जो इसे एक स्वस्थ विकल्प बनाता है।

तीसरा कारण इसकी सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्ता है। खासतौर पर बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में, हिल्सा का सेवन त्योहारों और विशेष अवसरों पर किया जाता है।

हिल्सा मछली की अनोखी प्रवृत्ति भी इसे खास बनाती है। यह एक (anadromous) मछली है, जो समुद्र से नदियों की ओर प्रवास करती है, जिससे इसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण और खास अनुभव होता है।

इन सभी कारणों से (Hilsa) एक खास मछली के रूप में जानी जाती है।

Why is hilsa fish expensive?

हिल्सा मछली या (Hilsa fish) महंगी होने के कई कारण हैं:

  1. अनुपलब्धता और मांग: हिल्सा की मांग बहुत अधिक है, खासकर भारत, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों में। इसके विपरीत, इसकी आपूर्ति सीमित है क्योंकि यह एक (anadromous) मछली है जो समुद्र से नदियों की ओर प्रवास करती है। इसके प्रवास के दौरान इसे पकड़ना मुश्किल होता है, जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है।
  2. पकड़ने में कठिनाई: हिल्सा मछली को पकड़ने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। यह तेज धाराओं में तैरती है और जाल से बचने की क्षमता रखती है, इसलिए इसे पकड़ना मछुआरों के लिए चुनौतीपूर्ण है। इस प्रक्रिया में लगने वाले समय और प्रयास के कारण इसकी कीमत अधिक होती है।
  3. स्वाद और गुणवत्ता: हिल्सा अपने अद्वितीय और समृद्ध स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसके मांस की नाजुकता और उच्च तेल सामग्री इसे एक महंगी और लोकप्रिय मछली बनाती है। खासतौर पर (Bengali cuisine) में इसका विशेष महत्व है, जो इसकी कीमत को और बढ़ाता है।
  4. पर्यावरणीय बदलाव: नदियों में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से हिल्सा की पैदावार प्रभावित हो रही है। इस कारण से हिल्सा की उपलब्धता कम होती जा रही है, जिससे इसकी कीमत स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

इन सभी कारणों के चलते हिल्सा मछली महंगी होती है।

Why Hilsa is called as the king of fish?

हिल्सा मछली या (Hilsa fish) को “मछलियों का राजा” कहा जाता है, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में। इसका खिताब इसे इसके अनोखे स्वाद, उच्च पोषण मूल्य, और सांस्कृतिक महत्व के कारण मिला है।

हिल्सा अपने समृद्ध और मलाईदार स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे बंगाल, बांग्लादेश, और अन्य दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में एक विशेष स्थान दिलाता है। इसके अलावा, इसका मांस नाजुक होता है और इसमें (omega-3 fatty acids) जैसे स्वास्थ्यवर्धक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।

इस मछली का उपयोग विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है, जैसे (Shorshe Ilish), जो इसे एक सांस्कृतिक प्रतीक बनाता है।

Why do Bengalis love hilsa?

बंगालियों को हिल्सा मछली या (Hilsa fish) से विशेष प्रेम है, और इसके कई कारण हैं:

  1. अद्वितीय स्वाद: हिल्सा का स्वाद बेहद समृद्ध और मलाईदार होता है। इसका मांस नाजुक और तेलीय होता है, जो इसे बंगाली व्यंजनों में एक खास स्थान दिलाता है। (Bengali cuisine) में हिल्सा का उपयोग विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों जैसे (Shorshe Ilish) और (Ilish Bhapa) में किया जाता है, जो इसे स्वादिष्ट और अद्वितीय बनाता है।
  2. सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व: हिल्सा का बंगाली संस्कृति में गहरा महत्व है। यह विशेष रूप से त्योहारों, उत्सवों और पारिवारिक आयोजनों के दौरान तैयार की जाती है। हिल्सा मछली का सेवन बंगालियों के लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक है, और यह कई परंपराओं और रीति-रिवाजों से जुड़ी है।
  3. प्रवासी मछली: हिल्सा एक (anadromous) मछली है, जो समुद्र से नदियों की ओर प्रवास करती है। इसका यह विशेष गुण बंगाल की नदियों, विशेषकर गंगा और पद्मा नदी में मिलने वाली हिल्सा को और खास बनाता है। बंगाल के लोग इसे अपने क्षेत्रीय पहचान से जोड़ते हैं।
  4. पोषण और स्वास्थ्य लाभ: हिल्सा मछली में (omega-3 fatty acids) और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक बनाते हैं।

इन सभी कारणों से बंगालियों का हिल्सा के प्रति विशेष प्रेम और लगाव है।

By Wasim Ilyas Akram

दोस्तों, मैं एक एग्रीकल्चर ग्रेजुएट हूं और पिछले लगभग 5 सालों से मैं किसान समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने Centre Of Excellence For Vegetables, Gharaunda में नर्सरी एक्सपर्ट के पद पे कार्य किया है और पौध उत्पादन में करीब 5 साल दिए हैं। इसके अलावा हमारा एक YouTube चैनल AAS TV के नाम से है, जिसपे हम लगातार videos की शक्ल में खेती से जुड़ी उन्नत जानकारी साझा करते हैं। आप भी हमारे साथ इस मुहिम में आज़ ही जुड़िए।

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