दोस्तों, अच्छी फसल पैदा करने के लिए हमें अच्छे प्लांटिंग मैटीरियल की ज़रूरत होती है, जैसे कि अच्छी पौध (seedlings) ☘️, और अच्छी पौध तैयार करने के लिए हमारा मीडिया भी अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए। क्योंकि अगर आपका मीडिया अच्छा होगा तो आपकी पौध भी अच्छी होगी और आगे चलकर जब आप ये पौध अपने मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट करेंगे तो फिर आपकी फसल भी बेहतर होगी।
आइए समझते हैं आज के इस ब्लॉग में कि आप किस तरह से एक अच्छा मीडिया तैयार कर सकते हैं ताकि आपकी पौध अच्छी गुणवत्ता की तैयार हो सके। और इसके लिए हम soil less मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।
क्या होता है soil less मीडिया?
👉 दोस्तों, हमारी मिट्टी यानि जमीन पौधों के लिए न्यूट्रिएंट्स का एक खजाना है। इसके अंदर पोषक तत्वों के साथ-साथ कुछ जिंदा पार्टिकल्स भी मौजूद होते हैं, जिन्हें माइक्रो ऑर्गेनिज्म कहा जाता है। ये आमतौर पर पौधों की जड़ों में पाए जाते हैं।
इन माइक्रो ऑर्गेनाइज्म में से कुछ हमारे पौधों के लिए फायदेमंद होते हैं और कुछ हमारे पौधों के लिए नुकसानदायक होते हैं। और नुकसानदायक की श्रेणी में आते हैं फफूंद यानी कि फंगस, और हमारी मिट्टी से पैदा होने वाले इस फंगस को सॉइल बोर्न फंगस कहा जाता है।
👉 और इन्हीं फंगस के ग्रुप से हमारे पौधों में लगभग 80% से ज्यादा दिक्कतें होती है खास तौर से पौध (seedlings) के संदर्भ में।
और इसी समस्या से निजात पाने के लिए हमें मिट्टी की जगह soil less मीडिया की जरूरत पड़ी जिसमें हम पौध तैयार करके फंगस से होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं या फिर बिल्कुल खत्म कर सकते हैं।
क्योंकि इस मीडिया के अंदर मिट्टी बिल्कुल नहीं होती है इसलिए इस मीडिया को soil less मीडिया कहा जाता है। और इसका चलन हाल के सालों में काफी ज्यादा बढ़ा है। ये काफी हल्का होता है और इसे हम polybag में या ग्रोइंग बैग्स में भर कर इसमें पौधे लगा सकते हैं।
किचन गार्डन या टेरेस गार्डन में पेड़ पौधे लगाने के लिए इसका इस्तेमाल काफी मात्रा में किया जाता है। और हाई टैक फार्मिंग जैसे नेट हाउस और पोली हाउस में seedless cucumber या रंगीन शिमला मिर्च की फसल तैयार करने के लिए पौध इसी मीडिया में तैयार की जाती है।
आख़िर क्या होता है soil less मीडिया में?
👉 Soil Less मीडिया में मुख्य रूप से तीन कॉम्पोनेंट्स होते हैं:
- Cocopeat (कोकोपीट)
- Perlite (परलाइट)
- Vermiculite (वर्मिकुलाइट)
इन कॉम्पोनेंट्स को हमें 3:1:1 के अनुपात में मिलाना होता है सिर्फ मीडिया तैयार करने के लिए। अगर आप बीज लगाने के बाद वर्मिकुलाइट से फिलिंग करते हैं, तो आपको इस अनुपात को बढ़ा कर 3:2:1 का रखना है।
यानि, 3 हिस्से कोकोपीट के, 2 हिस्से वर्मिकुलाइट के और 1 हिस्सा परलाइट का।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्या आपको सिर्फ इसी अनुपात का इस्तेमाल करना है। आप अपने हिसाब से से कम ज्यादा कर सकते हैं। और जिस पॉइंट पर आपको बेहतरीन परिणाम मिले आपको वह अनुपात लेना है। कुछ लोग सिर्फ कोकोपीट में ही पौध करते हैं।
हालांकि कोकोपीट के साथ बाकी कॉम्पोनेंट्स का मिलना भी बेहद जरूरी है। परलाइट और vermiculite के अपने अलग ही फायदे हैं। परलाइट जहां एक तरफ pH को buffer करके रखता है। वहीं दूसरी तरफ वर्मिकुलाइट के अंदर Cation Exchange Capacity (CEC) काफ़ी ज्यादा होती है।
ये दोनों कॉम्पोनेंट्स पौधों में न्यूट्रिएंट्स के मूवमेंट को बेहतर बनाते हैं। और इससे हमारी पौध की गुणवत्ता अच्छी होती है। अगर आपका बजट कम है और आप मीडिया को थोड़ा सस्ता रखना चाहते हैं तो मीडिया बनाते समय इसमें कोकोपीट के साथ सिर्फ परलाइट मिला सकते हैं। पर बीज बोने के बाद खाली कैविटी की फिलिंग के लिए आप हमेशा वर्मिकुलाइट का ही इस्तेमाल करें।
ये वजन में काफी हल्का होता है और जर्मिनेशन की प्रक्रिया को काफी आसान बना देता है। ये नमी को काफी समय तक रोक कर रखता है और लंबे समय तक पानी ना मिल पाने की स्थिति में भी पौध को स्ट्रेस से बचा कर रखता है।
पौधों को जरूरी 17 न्यूट्रिएंट्स में से ज्यादातर cations हैं यानी positively charged हैं और vermiculite के अंदर गजब की Cation Exchange Capacity होती है। जिससे ये न्यूट्रिएंट्स पौधों को आसानी से मिल सकें। ये पौधों में जा कर उनकी ग्रोथ और डेवलपमेंट को बढ़ाते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें:
- कोकोपीट आपको हमेशा कम EC यानि इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी का ही इस्तेमाल करना है, और इसकी EC Value 1000 माइक्रो सीमेंस से कम होनी चाहिए।
- जितना कम नमक आपके कोकोपीट में होगा, पौध उतनी ही बेहतर होगी।
- परलाइट, दानेदार होना चाहिए, जिससे हवा का सर्कुलेशन पौधों की जड़ों में ठीक रहेगा।
- वर्मिकुलाइट में बजरी या पत्थर के पार्टिकल्स नहीं होने चाहिए।
- अगर ऐसा हुआ तो जब बीज से अंकुरण होगा तो ये नए बीज के उपर आ जायेगा और इससे जर्मिनेशन सही तरीके से नहीं होगा।
- वर्मिकुलाइट के bag को इस्तेमाल से पहले थोड़ा हिला लें, इससे सभी पार्टिकल्स बराबर बराबर ट्रे में फेल जाते हैं।
- वर्मिकुलाइट और परलाइट तो हमारे bag में पैक होकर आते हैं। पर कोकोपीट हमारा खुला हुआ ही आता है। इससे हवा में मौजूद नमी कोकोपीट के साथ मिल सकती है। इसलिए कोकोपीट को स्टोर करते समय ध्यान रहे कि वहां पर नमी ज्यादा ना हो। या फिर उसे लेमिनेशन के साथ स्टोर करें।
- हवा में फंगस के spores होते हैं जो कोकोपीट के साथ मिलकर फंगल कंटामिनेशंस फैला सकते हैं। इसलिए कोकोपीट को ऐसी जगह से दूर रखें जहां पर फंगस के फैलने का खतरा हो।
- जब आप को कोकोपीट खरीदें तो इस बात का ध्यान रहे की कोकोपीट एक अच्छे सोर्स से हो। और उसमें फाइबर्स पूरी तरह से मौजूद होने चाहिए।
- कोकोपीट की ब्रिक्स के बीच में कई बार पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े मौजूद होते हैं। और ऐसा सप्लायर वजन बढ़ाने के लिए करता है। आप जब सैंपल के लिए नमूना ले तो इस बात को जांच लें कि उसमें पत्थर के टुकड़े ना हो।
तो दोस्तों अगर आप ऊपर दी हुई बातों का ध्यान रखेंगे पौध उत्पादन के दौरान तो आपको यकीनन बेहतर परिणाम ही मिलेंगे।
पौध के लिए और बेहतर जानकारी के लिए आप हमारी यूट्यूब वीडियो भी जरूर देखें।